कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में ट्रेनिंग लेडीज डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या करने की निर्मम घटना हुई थी| इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया| वही घटना का तीव्र विरोध करते हुए जगह-जगह डॉक्टरों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया, जबकि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा पीड़िता को न्याय मिलने तक हड़ताल पर बैठे हुए हैं| दूसरी ओर इस मामले की छानबीन सीबीआई द्वारा की जा रही है|
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या हुए लगभग दो महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक ट्रेनिंग लेडीज डॉक्टर हत्या की गुत्थी को सीबीआई सुलझा नहीं पायी है| सीबीआई ने इस मामले में लगभग 500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है| हर तरह से छानबीन की जा चुकी है| मोबाइल सर्विलांस से लेकर फोरेंसिक तक तफ्तीश हो चुकी है, लेकिन अभी तक सीबीआई के हाथ खाली दिखाई दे रहे हैं|
सीबीआई ने एक बार फिर लेडी डॉक्टर का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों में से एक अपूर्बा बिस्वास से पूछताछ की है| तो क्या लेडीज डॉक्टर हत्या का राज पोस्टमार्टम में ही छिपा है राज ?
इसके साथ ही सीबीआई की नजर ताला थाने के एक पुलिसकर्मी पर भी है| इसी ने पोस्टमार्टम जल्दी हो इसके लिए लेटर लिखा था| रविवार को जब चिन्मय विश्वास नाम के इस शख्स को सीबीआई कार्यालय में बुलाया गया तो कई पुलिसकर्मी भी उसके साथ आए| चिन्मय से लंबी पूछताछ की गई| सीबीआई सूत्रों के अनुसार चिन्मय बिस्वास से पूछताछ से डॉक्टर की हत्या और रेप की गुत्थी सुलझ सकती है|
दूसरी ओर इस मामले में सनसनीखेज दावा बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा भी की जा रही है| शुभेंदु अधिकारी ने पत्रकारों के सामने एक बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति था जो खुद को पीड़िता का चाचा बता रहा था और धमकी दे रहा था कि अगर पोस्टमार्टम दिन के अंत तक पूरा नहीं हुआ तो ‘खून की नदी’ बह जाएगी। वह व्यक्ति पूर्व पार्षद था,जो बाद में टीएमसी में शामिल हो गए और पानीहाटी टीएमसी विधायक निर्मल घोष के करीबी सहयोगी बन गए।
उन्होंने कहा कि पीड़िता का अंतिम संस्कार जल्दबाजी में किया गया था। पुलिस श्मशान घाट पर कार्रवाई की निगरानी कर रही थी और शव को ठिकाने लगाने के लिए श्मशान घाट पर बहुत जल्दबाजी थी। पानीहाटी विधायक; ममता बनर्जी के निर्देशानुसार निर्मल घोष खुद मौजूद थे। मजे की बात यह है कि संजीव मुखर्जी ही दाह संस्कार प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षरकर्ता हैं, जबकि वे पीड़ित के रिश्तेदार नहीं हैं। दस्तावेज पर सोमनाथ डे का एक और नाम व हस्ताक्षर भी है।
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