पदक या मोदी सरकार का विरोध ? 

पदक या मोदी सरकार का विरोध ? 

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण दिए जाने पर पार्टी में दो फाड़ हो गया है। पार्टी कई नेता उन्हें बधाई दे रहे हैं तो कुछ उन पर तंज कसा है। आनंद शर्मा और शशि थरूर जैसे वरिष्ठ नेताओं ने जहां उन्हें बधाई दी है, वहीं, कपिल सिब्बल और जयराम रमेश ने निशाना साधते हुए उन्हें गुलाम बताया है जबकि कपिल सिब्बल ने कहा है कि आजाद की अब पार्टी में कोई जरूरत नहीं है। वहीं, बंगाल के तीन लोगों ने पदक लेने से इंकार कर दिया है। सिंगर संध्या मुखोपध्याय, निंद्या चटर्जी ने पद्म श्री और बुद्धदेब भट्टाचार्य पद्म भूषण लेने से  इंकार किया है।

बता दें कि मोदी सरकार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण पदक देने का ऐलान किया है। जिसके बाद कांग्रेस में इसे लेकर रार शुरू हो गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने गुलाम नबी आजाद को  ‘गुलाम’ बता कर उन पर तंज कसा है। उन्होंने  ट्वीट लिखा, उन्होंने सही कदम उठाया है, वो आजाद रहना चाहते हैं गुलाम है। उन्होंने बंगाल के  पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के कदम की सराहना की है। बता दें कि बुद्धदेव भट्टाचार्य को भी मोदी सरकार ने पद्म भूषण पदक देने की घोषणा की है जिसको उन्होंने लेने से इंकार कर दिया है।

वहीं, कपिल सिब्बल ने भी गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण दिए जाने पर तंज कसते हुए बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट किया है  कि  गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण दिया गया। बधाई हो भाई जान। उन्होंने आगे लिखा कि कांग्रेस को अब उनकी जरूरत नहीं है। जबकि पूरा देश उनके सार्वजनिक जीवन के बारे में जनता है। वहीं, शशि थरूर ने उन्हें बधाई दी है और आनंद शर्मा ने भी बधाई देते हुए लिखा कि गुलाम नबी आजाद को जन सेवा और संसदीय  लोकतंत्र में उनके योगदान के लिये हार्दिक बधाई।

बता दें कि बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने मोदी सरकार द्वारा दिए गए पद्म भूषण को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई है। साथ ही उन्होंने  यह भी कहा है कि उनके घर पर कोई भी सरकारी अफसर न आये।

इसके अलावा, बंगाल की ही सिंगर संध्या  मुखोपध्याय ने पद्मश्री विभूषण लेने से इंकार कर दिए है। इस संबंध में उनकी बेटी सेनगुप्ता ने कहा है कि 90 साल की उम्र में पद्मश्री के लिए चुना जाना अपमानजनक है। इसके साथ ही बंगाल के ही एक और गायक निंद्या चटर्जी ने भी पद्मश्री लेने से मना कर दिया है।

अब सवाल यह उठता है कि पदकों को क्यों ठुकराया जा रहा है। क्या मोदी सरकार द्वारा पदक दिए जाने का विरोध किया जा रहा है। हालांकि पदक को ठुकराने का कोई ठोस वजह सामने नहीं आई है। लेकिन प्रतिक्रियाओं में उम्र का हवाला दिया गया है।अब सच्चाई क्या है? यह बता पाना मुश्किल है।

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