टीएमसी नेता और राज्यसभा सांसद साकेत गोखले को लक्ष्मी पुरी मानहानि मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। अदालत ने गोखले की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें उन्होंने खुद पर लगे 50 लाख रुपये के मुआवजे और सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी मांगने के आदेश को पलटने की गुहार लगाई थी। अब गोखले को अदालत के फैसले के अनुरूप न केवल मुआवजा देना होगा, बल्कि सार्वजनिक मंच पर क्षमा भी मांगनी होगी—और वह भी अगले छह महीने तक उनके सोशल मीडिया हैंडल पर स्थायी रूप से दिखाई देनी चाहिए।
यह विवाद जून 2021 में शुरू हुआ, जब साकेत गोखले ने सोशल मीडिया पर लक्ष्मी पुरी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि पुरी ने स्विट्जरलैंड में अपनी घोषित आय से कहीं अधिक की संपत्ति खरीदी है। ये आरोप न केवल निराधार पाए गए, बल्कि मानहानि की श्रेणी में भी आए। हरदीप सिंह पुरी की पत्नी और पूर्व राजनयिक लक्ष्मी मुर्देश्वर पुरी ने इसे अपनी प्रतिष्ठा पर हमला मानते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में गोखले के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इस मामले में करंजावाला एंड कंपनी ने उनका प्रतिनिधित्व किया।
पिछले साल जुलाई में ही हाई कोर्ट ने गोखले को मानहानि का दोषी करार देते हुए ₹50 लाख रुपये का मुआवजा देने और एक राष्ट्रीय अखबार में माफीनामा प्रकाशित करने का आदेश सुनाया था। बावजूद इसके जब उन्होंने आदेश का पालन नहीं किया, तो अदालत ने पिछले सप्ताह उनके सांसद वेतन की जब्ती का निर्देश भी जारी कर दिया।
गोखले की याचिका में इस आदेश को ‘अनुचित’ करार दिया गया था, लेकिन अदालत ने साफ कर दिया कि जब एक जनप्रतिनिधि किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है, तो उससे जवाबदेही भी अपेक्षित होती है। इस फैसले से यह भी स्पष्ट हो गया है कि डिजिटल माध्यम पर किए गए आक्षेप भी कानून की सीमा से बाहर नहीं होते और यदि सार्वजनिक जीवन में हैं, तो शब्दों की जिम्मेदारी से आप मुक्त नहीं हो सकते।
मानहानि के इस मामले ने न सिर्फ सोशल मीडिया की ताकत, बल्कि उसकी सीमाओं की भी एक बार फिर पड़ताल कराई है। अब देखना होगा कि साकेत गोखले इस अदालती झटके के बाद अपनी सार्वजनिक छवि को कैसे संवारते हैं।
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