भारत और यूरोपीय संघ के बीच बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। ब्रसेल्स में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूरोपीय व्यापार एवं आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस सेफकोविक की महत्वपूर्ण बैठक में दोनों पक्षों ने इस समझौते को वर्ष 2025 के अंत तक अंतिम रूप देने की स्पष्ट प्रतिबद्धता व्यक्त की।
यह बैठक केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक ऐसी साझेदारी की दिशा में ठोस कदम थी जो वैश्विक व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला और डिजिटल परिवर्तन की नई चुनौतियों के अनुरूप खुद को ढालने को तैयार है। बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि दोनों देशों ने लंबित मुद्दों को परस्पर सम्मान और व्यावहारिकता की भावना से सुलझाने का संकल्प लिया है, और इसी क्रम में अगली वार्ता 12-16 मई को नई दिल्ली में होगी।
पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया पर इसे एक “प्रोडक्टिव बातचीत” बताते हुए कहा कि, “हमारा ध्यान व्यवसायों के लिए बाजार तक पहुंच बढ़ाने, विविध और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने और इनोवेशन तथा प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने पर केंद्रित है।”
बैठक में यह भी रेखांकित किया गया कि यह समर्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन द्वारा दी गई रणनीतिक दिशा पर आधारित है, जिसमें दोनों पक्षों की अर्थव्यवस्थाओं को सतत विकास और साझा समृद्धि की ओर अग्रसर करना प्रमुख उद्देश्य है।
भारत की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि सार्थक व्यापार समझौते के लिए केवल टैरिफ पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि गैर-टैरिफ बाधाओं (एनटीबी) को भी उतनी ही प्राथमिकता देना ज़रूरी है। डिजिटल ट्रांजिशन, निवेश में गतिशीलता, और नवाचार-आधारित प्रतिस्पर्धा जैसे क्षेत्रों को भी समझौते के दायरे में शामिल करना दोनों पक्षों के दीर्घकालिक हितों के लिए अनिवार्य माना गया।
भारत-यूरोपीय संघ एफटीए अब केवल व्यापार की बात नहीं है, यह एक भू-राजनीतिक वक्तव्य भी बनता जा रहा है—एक ऐसा ट्रांसफॉर्मेटिव पिलर जो न केवल बाजार पहुंच को विस्तृत करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर विनियामक सहयोग, तकनीकी साझेदारी और रणनीतिक संतुलन की नींव भी तैयार करेगा।
2025 की समयसीमा भले ही प्रतीकात्मक हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि दोनों पक्ष इस बार वक्त की रेत पर समझौते की इबारत लिखने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
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