जापान के इतिहास में पहली बार एक महिला प्रधानमंत्री बनी हैं। मंगलवार(21 अक्तूबर) को जापान की संसद के निचले सदन ने साने ताकाइची को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में मंजूरी दी। ताकाइची को एक रूढ़िवादी नेता और चीन पर कड़ा रुख रखने वाली हॉक के रूप में जाना जाता है। दिन में बाद में सम्राट नारुहितो से मुलाकात के बाद औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करेंगी।
यह नियुक्ति जापान के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जहाँ अब तक राजनीति और कॉरपोरेट जगत में पुरुषों का ही दबदबा रहा है। जापान की संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी अब भी 20 प्रतिशत से कम है और अधिकांश बड़ी कंपनियों के शीर्ष पद पुरुषों के पास हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताकाइची को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि वह भारत–जापान संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में उनके साथ मिलकर काम करने की उम्मीद रखते हैं। मोदी ने एक्स (X) पर लिखा,“हार्दिक बधाई, साने ताकाइची, जापान की प्रधानमंत्री चुने जाने पर। मैं आपके साथ मिलकर भारत–जापान की विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और प्रगाढ़ करने की आशा करता हूँ। हमारे गहरे रिश्ते इंडो-पैसिफिक क्षेत्र और उससे आगे शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।”
Heartiest congratulations, Sanae Takaichi, on your election as the Prime Minister of Japan. I look forward to working closely with you to further strengthen the India–Japan Special Strategic and Global Partnership. Our deepening ties are vital for peace, stability, and prosperity…
— Narendra Modi (@narendramodi) October 21, 2025
ताकाइची ने संसद के निचले सदन में 465 में से 237 वोट हासिल कर पहली बार में ही बहुमत प्राप्त कर लिया। उनकी प्रधानमंत्री पद की राह आसान नहीं थी। उनकी पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) से सहयोगी कोमेतो पार्टी के बाहर निकलने के बाद स्थिति कठिन लग रही थी। परंतु सोमवार को उन्होंने राइट-विंग जापान इनोवेशन पार्टी (Ishin) के साथ समझौता कर लिया, जिससे रास्ता साफ हुआ।
ताकाइची अपने पहले कदम के रूप में सात्सुकी कटायामा को वित्त मंत्री नियुक्त करने जा रही हैं, जो इस पद पर आसीन होने वाली पहली महिला होंगी। कटायामा वर्तमान में एलडीपी की वित्त और बैंकिंग अनुसंधान समिति की अध्यक्ष हैं और अर्थशास्त्र में गहरी पकड़ रखती हैं। दोनों नेता पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी सहयोगी रही हैं।
हालाँकि ताकाइची की नियुक्ति जापान में महिला नेतृत्व के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, परंतु वह एक रूढ़िवादी विचारधारा से जुड़ी हैं। उनसे प्रगतिशील सामाजिक सुधारों की उम्मीद नहीं जताई जा रही। ताकाइची समलैंगिक विवाह और अलग उपनाम रखने के अधिकार जैसे सुधारों का विरोध करती हैं और अक्सर यासुकुनी श्राइन जाती हैं, जहाँ जापान के युद्ध अपराधियों की स्मृति रखी गई है।
आर्थिक मोर्चे पर उनके सामने बड़ी चुनौतियाँ हैं। देश वर्षों से मुद्रास्फीति और मूल्यवृद्धि से जूझ रहा है, जिसने जनता में नाराज़गी बढ़ाई है। ताकाइची के प्रधानमंत्री बनने की संभावना से ही शेयर बाज़ार में उत्साह दिखा। निक्केई इंडेक्स 3.4 प्रतिशत की छलांग के साथ रिकॉर्ड ऊँचाई पर बंद हुआ।
भारत और जापान न केवल आर्थिक बल्कि रक्षा और रणनीतिक साझेदार भी हैं। जापान भारत के कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भागीदार है और क्वाड (Quad) समूह के माध्यम से दोनों देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीतियों को संतुलित करने का प्रयास कर रहे हैं। साने ताकाइची का प्रधानमंत्री पद तक पहुँचना जापान के राजनीतिक इतिहास में एक बड़ा बदलाव है।
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