सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के याचिका को झटका देते हुए आरएसएस (RSS) रूट मार्च के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है| सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट का आदेश यथावत रखा है| बता दें कि 47 जगहों पर आरएसएस का पथ संचलन निकलना है जिसका विरोध तमिलनाडु सरकार कर रही थी|
तमिलनाडु सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि कई ज़िले ऐसे हैं जहां सड़क पर मार्च से खतरा हो सकता है| राज्य सरकार सीमित जगहों पर अनुमति देना चाहती थी,लेकिन सड़क पर नहीं बल्कि बंद परिसर में| दायर याचिका में ये भी कहा गया कि इस तरह के आयोजन (पथ संचलन) से राज्य में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है| वहीं, आरएसएस ने इसे शांतिपूर्वक पथ संचालन होने के मौलिक अधिकार का हनन बताया था|
मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सिंगल जज द्वारा आरएसएस रूट मार्च पर लगाई गई शर्तों को रद्द कर दिया था। इसी के विरोध में तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सितंबर 2022 में हाई कोर्ट के सिंगल जज द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर एक अलग याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने संगठन को जुलूस निकालने की अनुमति दी थी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से तमिलनाडु सरकार की याचिका को झटका लगा है| तमिलनाडु सरकार ने आरएसएस को पथ संचलन की अनुमति देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी| वहीं, हाई कोर्ट ने अनुमति देते हुए कहा था कि लोकतंत्र की बेहतरी के लिए उचित विरोध भी ठीक है|
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