शरद पवार आठ बार भाजपा से चर्चा कर चुके हैं| उनके साथ जाने का निर्णय लिया गया| यह 2014 में हुआ था, लेकिन शरद पवार के बयान और यह कहने के बाद कि देवेंद्र फडणवीस सतर्क हो गए हैं, मंत्री छगन भुजबल ने बताया है कि 2014 से 2019, फिर 2022 से 2023 में क्या हुआ|
छगन भुजबल ने क्या कहा?: 2014 में जब चुनाव आए तो भाजपा ने शिवसेना से अपना गठबंधन तोड़ दिया, लेकिन उन्होंने शरद पवार को संदेश भेजा कि हम शिवसेना छोड़ रहे हैं, आप कांग्रेस छोड़ दें, जिसके बाद हमने बिना किसी कारण के कांग्रेस छोड़ दी| 2014 के विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां अलग-अलग लड़ी थीं| छगन भुजबल ने कहा कि उस समय (2014) यह तय हुआ था कि भाजपा कुछ दिनों के लिए सरकार चलाएगी और एनसीपी सरकार में शामिल होगी| वोटों की गिनती से एक दिन पहले भी हम शरद पवार के साथ थे| कहा गया कि अगर कम पड़े तो बाहर से समर्थन दिया जाये| वोटों की गिनती के दिन शरद पवार को फोन आया कि अब आप सामने आएं और कहें कि हम आपका समर्थन करते हैं| फिर 2014 में प्रफुल्ल पटेल ने घोषणा की कि हम सरकार का समर्थन कर रहे हैं| एकनाथ शिंदे तब (2014) विपक्ष के नेता बने।
शरद पवार का बयान और फडणवीस रहे सतर्क: कुछ दिन बाद अलीबाग में मीटिंग हुई| इसमें शरद पवार ने सीधे तौर पर ऐलान किया कि भाजपा हमेशा के लिए हमारा समर्थन न मान ले| मैं अजित पवार, प्रफुल्ल पटेल, जयंत पाटिल सभी शरद पवार से मिला। फिर हमने उनसे पूछा कि आपने ऐसा क्यों कहा तो शरद पवार के पास कोई जवाब नहीं था, लेकिन उनके इस बयान ने देवेन्द्र फडणवीस को सतर्क कर दिया. इसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि कोई समस्या है| उन्होंने तुरंत एकनाथ शिंदे को शिव सेना में शामिल कर लिया और उन्हें मंत्री पद आदि दे दिये। 2017 में भी एक बैठक हुई थी| उस समय कितने मंत्री थे, कौन सा हिसाब? अगले चुनाव में सीटों का आवंटन, सांसदों की सीटों का निर्धारण हो चुका है|
इसके बाद शरद पवार ने कहा कि हम आपके साथ आ रहे हैं, लेकिन शिवसेना छोड़ दीजिए. भाजपा ने उन्हें खारिज कर दिया| छगन भुजबल ने भी कहा कि इस वजह से वार्ता विफल रही| 2014 में कांग्रेस छोड़ दी, शिवसेना को कुछ दिनों के लिए सत्ता से बाहर कर दिया| 2017 में चर्चा की और शिवसेना को सरकार से हटाने की बात कही| ये सब शरद पवार ने किया था|
2019 में भी भाजपा के साथ जाने का हुआ था फैसला: 2019 में चुनाव हुए सब कुछ फिर से तय हो गया| राष्ट्रपति शासन का विचार शरद पवार का ही था, देवेन्द्र फडणवीस का भी। शरद पवार को सब पता था कि 2019 में क्या हुआ| तय हुआ कि भाजपा और एनसीपी सरकार बनाएगी| इसलिए भाजपा ने शिवसेना का साथ छोड़ दिया| उस वक्त भाजपा के साथ जाना चाहिए था, लेकिन शरद पवार तब भी पीछे हट गए| उस समय शरद पवार ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और कहा कि वह मेरा समर्थन नहीं कर पाएंगे| इसके बाद जब एकनाथ शिंदे भाजपा के साथ गए तो उससे पहले भी चर्चा हुई थी|
जब महाविकास अघाड़ी थी तब भी भाजपा के साथ जाने का फैसला हुआ था: जब महाविकास अघाड़ी थी तब भी भाजपा के साथ जाने की चर्चा हुई थी| शरद पवार, जयंत पाटिल, प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार सभी चर्चा कर रहे थे| 54 विधायकों ने भाजपा के साथ जाने के लिए हस्ताक्षर भी किए थे| इसके बाद भी शरद पवार ने कहा कि यह काफी नहीं होगा, आप जाना चाहते हैं तो जाएं| जब ये सब घटनाक्रम हुआ तो सदन में (शरद पवार की) चर्चा चल रही थी| अजित पवार को यह जरूर पता होगा| यशवंतराव चव्हाण केंद्र में शरद पवार देंगे इस्तीफा, जिसके बाद सुप्रिया सुले बनेंगी राष्ट्रपति| तय हुआ कि हम सुप्रिया सुले के साथ भाजपा में शामिल होंगे| मुझे भी इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि वो इस्तीफा दे देंगे| ये सारी चर्चा उनके घर में हुई| अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल को पता होगा| मैंने उस वक्त सुप्रिया सुले से पूछा था कि आपने इस्तीफे के बारे में कुछ नहीं कहा| तो उन्होंने कहा कि अजित पवार को पता था| उन्होंने मुझे यह भी बताया कि पंद्रह दिनों से चर्चा चल रही थी| मैं उन चर्चाओं में नहीं था|
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