शशि थरूर ने ‘राष्ट्रीय हित’ को सर्वोपरि बताया, कांग्रेस नेतृत्व से मतभेद के संकेत!

"राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में"

शशि थरूर ने ‘राष्ट्रीय हित’ को सर्वोपरि बताया, कांग्रेस नेतृत्व से मतभेद के संकेत!

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वरिष्ठ कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने शनिवार(19 जुलाई) को कोच्चि में ‘शांति, सद्भावना और राष्ट्रीय विकास’ विषयक एक कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से कहा कि “राष्ट्र सर्वोपरि है और राजनीतिक दल सिर्फ एक माध्यम हैं”। इस बयान को कांग्रेस नेतृत्व से उनके संभावित मतभेद के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की कुछ नीतियों का समर्थन किया है।

थरूर ने कहा, “आपकी पहली निष्ठा किसके प्रति होनी चाहिए? मेरे विचार में राष्ट्र पहले आता है। पार्टियां राष्ट्र को बेहतर बनाने का एक माध्यम मात्र हैं। हर पार्टी का उद्देश्य अपने-अपने तरीके से देश को आगे बढ़ाना होना चाहिए, भले ही उनमें मतभेद हों कि ये कैसे हो।” उन्होंने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में सरकार और सशस्त्र बलों के प्रति समर्थन जताने पर हुए आलोचना पर भी प्रतिक्रिया दी। थरूर ने स्पष्ट कहा, “मुझ पर हाल के दिनों में काफी आलोचना हुई है, लेकिन मैं अपने रुख पर कायम हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह देश के लिए सही है।”

एक छात्र द्वारा कांग्रेस नेतृत्व से उनके संबंधों पर पूछे गए सवाल पर थरूर ने कहा, “जब हम कहते हैं कि हम अपनी पार्टी का सम्मान करते हैं और उसमें अपनी आस्था और विचारधारा के साथ बने रहते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर अन्य दलों से सहयोग करना जरूरी मानते हैं — तो पार्टियों को कभी-कभी लगता है कि यह उनके प्रति असंवेदनशीलता है, और यहीं समस्या खड़ी हो जाती है।”

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में राजनीति प्रतिस्पर्धा पर आधारित होती है, लेकिन राष्ट्रीय संकट के समय सभी को एक साथ आना चाहिए। थरूर ने आगे कहा, “समावेशी विकास मेरा लगातार एजेंडा रहा है। मैं समावेश, विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हित में विश्वास करता हूं।” पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने दोहराया कि “राष्ट्र पहले” का भाव उनके जीवन का मूल मंत्र रहा है। “मैं भारत लौटकर सिर्फ देश की सेवा करने आया था — राजनीति के अंदर और बाहर, जैसे भी संभव हो।”

कांग्रेस नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि वह हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने को लेकर पार्टी में चल रही अंदरूनी चर्चाओं से दूर रहना चाहते थे, लेकिन एक छात्र के सवाल ने उन्हें सार्वजनिक रूप से जवाब देने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का उद्धरण देते हुए कहा, “अगर भारत नहीं बचेगा, तो कौन बचेगा?” और राजनीतिक दलों से अपील की कि राष्ट्रीय संकट के समय वे अपने मतभेद भुलाकर एकजुट हों।

थरूर हाल ही में उस समय कांग्रेस के अंदर विवादों में घिरे जब उन्होंने एक लेख में प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक कूटनीति में “ऊर्जा” और “गतिशीलता” की सराहना की थी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने उस लेख को साझा भी किया, जिससे उनके कांग्रेस नेतृत्व से संबंधों को लेकर अटकलें और तेज हो गईं।

शशि थरूर का यह रुख न केवल भारतीय राजनीति में राष्ट्रहित बनाम पार्टी हित की बहस को जीवंत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आगामी समय में कांग्रेस के अंदर विचारधारात्मक मतभेद और उभर सकते हैं।

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