सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर अब देश की सर्वोच्च अदालत ने गंभीर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (6 अक्तूबर)को केंद्र सरकार से पूछा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत वांगचुक की गिरफ्तारी से पहले उनकी पत्नी गीतांजलि जे. वांगमो को सूचना क्यों नहीं दी गई। अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 14 अक्टूबर को की जाएगी।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की पीठ ने इस संबंध में केंद्र, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान सरकारों को नोटिस जारी किया है। यह आदेश वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो द्वारा दायर की गई हैबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि 26 सितंबर को उनके पति को हिरासत में लिए जाने के बाद से उन्हें अब तक मुलाकात की अनुमति नहीं दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि वांगचुक की गिरफ्तारी संविधान के अनुच्छेद 22 का उल्लंघन है, क्योंकि न तो उन्हें और न ही उनकी पत्नी को इस गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी दी गई। उन्होंने यह भी कहा कि यह हिरासत कानून के दायरे से बाहर और अवैध है।
सोनम वांगचुक को हाल ही में लद्दाख में हुई हिंसक झड़पों के बाद NSA के तहत गिरफ्तार किया गया था और उन्हें राजस्थान के जोधपुर जेल में रखा गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि उनकी गिरफ्तारी का कोई ठोस आधार नहीं है, बल्कि यह प्रशासन द्वारा असहमति की आवाज़ को दबाने की कोशिश है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है कि क्या वांगचुक की गिरफ्तारी से संबंधित प्रक्रिया में संवैधानिक अधिकारों का पालन किया गया या नहीं। अदालत ने कहा कि इस मामले में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों से जुड़े सवाल उठते हैं और इसलिए इसे प्राथमिकता से सुना जाएगा।
गौरतलब है कि सोनम वांगचुक लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने वर्षों से हिमालयी पारिस्थितिकी की रक्षा और सतत विकास के लिए अभियान चलाया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद से देशभर में नागरिक संगठनों और छात्रों के बीच नाराजगी फैल गई है, जो उनके समर्थन में आवाज उठा रहे हैं।
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