प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा शुरू की गई ‘स्टैंड अप इंडिया’ योजना सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तिकरण का मजबूत आधार बनती जा रही है। इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिला उद्यमियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रिकॉर्ड स्तर पर बैंक लोन प्रदान किए जा रहे हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च 2019 तक स्वीकृत लोन की कुल राशि जहां 16,085.07 करोड़ रुपये थी, वहीं 17 मार्च 2025 तक यह आंकड़ा 61,020.41 करोड़ रुपये को पार कर गया है। यह वृद्धि इस योजना की पहुंच, प्रभाव और जरूरतमंद वर्गों के बीच बढ़ते विश्वास को दर्शाती है।
2019 में जहां 9,399 SC खातों को 1,826.21 करोड़ रुपये का लोन स्वीकृत किया गया था, वहीं 2025 तक 46,248 SC खातों को 9,747.11 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है। इसी प्रकार ST समुदाय के खातों की संख्या 2,841 से बढ़कर 15,228 हो गई, और उन्हें दिए गए लोन 574.65 करोड़ से बढ़कर 3,244.07 करोड़ रुपये तक पहुंच गए।
महिला उद्यमियों को भी इस योजना से व्यापक लाभ मिला है। 2018 में जहां 55,644 महिला खाताधारक योजना से जुड़ी थीं, वहीं 2024 तक यह संख्या 1,90,844 हो चुकी है। इसी अवधि में स्वीकृत लोन राशि भी 12,452.37 करोड़ से बढ़कर 43,984.10 करोड़ रुपये हो गई।
‘स्टैंड अप इंडिया’ योजना की शुरुआत 5 अप्रैल 2016 को हुई थी, जिसका उद्देश्य बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से SC/ST और महिला उद्यमियों को ग्रीनफील्ड (नई) उद्यमों की स्थापना के लिए 10 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का लोन प्रदान करना है। इन उद्यमों में मैन्युफैक्चरिंग, सेवा, कृषि से जुड़ी गतिविधियां और व्यापार शामिल हो सकते हैं।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, यह योजना केवल वित्तीय सहायता का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज के वंचित वर्गों को उद्यमिता के जरिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का मिशन है। यह सपनों को साकार करने, रोजगार सृजन करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर है।
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