मुंबई। तीन दलों वाली आघाडी सरकार के अविवेकपूर्ण निर्णय के चलते राज्य के लाखों छात्र छात्राओं के लिये बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। इससे अभिभावक मानसिक तनाव में हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा 11वी में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा यानी सीईटी रद्द करने पर राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री व भाजपा विधायक आशीष शेलार ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विधायक शेलार ने बुधवार को कहा कि 11वीं सीईटी को रद्द करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने समानता के अधिकार के उल्लंघन अवास्तविक, कठोर, भेदभावपूर्ण, सनकी और संवैधानिक उल्लंघन वाले फैसले के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने ठाकरे सरकार को मुंह पर तमाचा मारा है। अदालत ने माना है कि राज्य में अलग अलग शिक्षा बोर्ड हैं लेकिन सीईटी परीक्षा केवल एसएससी बोर्ड के सेल्बेस पर को लेना अनुचित है।
इस बार कोरोना की वजह से 10वी की परीक्षा नहीं हुई। इस लिए 9वीं कक्षा के प्राप्तांकों को ध्यान में रखते हुए मूल्यांकन में विद्यार्थियों को 95 से 100 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। ग्यारहवीं में एडमिशन के लिए माता-पिता परेशान हैं। माता-पिता और छात्र इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या उन्हें अपने मनचाहे कॉलेज में प्रवेश मिलेगा या नहीं। इस संबंध में सरकार की कोई नीति नहीं है, यह स्पष्ट नहीं है। शिक्षा बर्बाद हो रही है। शेलार ने कहा कि जब सीईटी की घोषणा की गई तो हमसे पूछा था कि कौन से कोर्स पर परीक्षा होगी? उस समय, सरकार ने एकतरफा निर्णय लिया और अन्य बोर्डों पर विचार किए बिना एसएससी बोर्ड के पाठ्यक्रम के अनुसार सीईटी की घोषणा की। तो दूसरे बोर्ड के छात्र ऐसी परीक्षा कैसे देते ? लेकिन किसी ने इस बारे में नहीं सोचा। अब आंतरिक गुणों को देखते हुए ग्यारहवीं प्रवेश देने का अर्थ फिर असमानता होगी।
मुंबई मनपा का तुगलगी फरमान
मुंबई मनपा ने राज्य सरकार की शिक्षा परिषद के माध्यम से पांचवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए आयोजित की जाने वाली छात्रवृत्ति परीक्षाओं में मनपा के स्कूलों के छात्र नहीं बैठ सकेंगे। शेलार ने कहा कि यह एक भयानक निर्णय है, इसका स्पष्टीकरण मनपा अधिकारियों को देना चाहिए। इसका मतलब यह है कि निजी स्कूलों के छात्र छात्रवृत्ति परीक्षा देते हैं, उन्हें छात्रवृत्ति मिलेगी और जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता होती है, बीएमसी के गरीब, मेहनती, मेहनतकश परिवारों के होशियार बच्चों को इस छात्रवृत्ति से वंचित किया जाएगा। यह कैसा न्याय है?