देशभर में सभी दुकानों, शोरूम, डीलरों और रेहड़ी-पटरी वालों के लिए नेमप्लेट अनिवार्य करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (18 जुलाई)को केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सभी पक्षों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि देशभर में दुकानदारों के लिए अपने प्रतिष्ठानों के बाहर नेमप्लेट लगाना अनिवार्य किया जाए, ताकि उपभोक्ता को दुकान मालिक की पहचान, पता, संपर्क नंबर और सामान की गुणवत्ता से जुड़ी स्पष्ट जानकारी मिल सके।अश्विनी उपाध्याय ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “उपभोक्ता का जानने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार है। यह सिर्फ सूचनात्मक नहीं, बल्कि संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार है।”
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और खाद्य सुरक्षा अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी व्यवसायी—चाहे वह रेहड़ी-पटरी वाला हो, छोटा दुकानदार हो या बड़े शोरूम का मालिक—उसे अपने प्रतिष्ठान के बाहर नेमप्लेट लगानी चाहिए जिसमें उसका नाम, पता, लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज हो। हालांकि, अधिकांश दुकानदार इन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
उपाध्याय ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने हाल ही में हरिद्वार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की यात्रा की, जहां कई दुकानों, विशेषकर खाद्य दुकानों पर नेमप्लेट नहीं लगी थी। उन्होंने कहा कि व्रत और त्योहारों जैसे अवसरों पर जब उपभोक्ता खानपान को लेकर अधिक सचेत रहते हैं, उस समय दुकानदार की पहचान की जानकारी न मिलना उपभोक्ता हितों के खिलाफ है।
उन्होंने आगे कहा, “यह नियम सिर्फ कांवड़ यात्रा या विशेष आयोजनों के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि पूरे भारत में सालभर लागू होना चाहिए। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को उचित अधिकार और न्याय प्राप्त करने में सुविधा होगी।”
उपाध्याय ने यह भी कहा कि नेमप्लेट की अनुपस्थिति में कई बार उपभोक्ता शिकायत दर्ज नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें दुकानदार की पहचान ही नहीं मालूम होती। यदि हर दुकान पर स्पष्ट जानकारी हो, तो उपभोक्ता न केवल अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, बल्कि कानूनन कार्यवाही भी कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें:
उत्तर प्रदेश: बलरामपुर और आगरा के बाद अब अलीगढ़ में जबरन धर्मांतरण का बड़ा मामला!



