मराठी मानुस की अस्मिता क्या एक गरीब आदमी को भीड़ में पीटना, उन पर हमला करना है? या फिर मराठी मानुस की अस्मिता यह है कि जितने भी गरीब लोग हैं, उन्हें अच्छे से अच्छा इलाज मिले?
पूनावाला ने सवाल किया कि वर्षों से बीएमसी उद्धव ठाकरे चला रहे हैं। जब उद्धव बीमार होते हैं, तो वह बीएमसी हॉस्पिटल में जाते हैं या फिर निजी हॉस्पिटल में? इनके बच्चे सड़क पर लड़ाई नहीं करेंगे, गरीब कार्यकर्ताओं के बच्चों को लड़ने के लिए कहेंगे, मराठी मानुस की अस्मिता इसमें है?
उन्होंने मराठी भाषा विवाद पर कहा कि अगर अमेरिका के दिग्गज उद्योगपति एलन मस्क की टीम महाराष्ट्र में कारोबार करने और निवेश के लिए आती है तो क्या फिर राज ठाकरे उन्हें पीटेंगे? क्योंकि उन्हें मराठी नहीं आती?”
तहसीन पूनावाला ने कहा, “महाराष्ट्र में मराठी मानुस खुद बिल्कुल सुरक्षित नहीं है। जब दुकानें बंद हो जाती हैं और व्यवसायों पर हमला होता है, तो वहां कौन काम करता है? यह बेचारा मराठी मानुस है। ऐसे में नौकरी खोने वाला मराठी मानुस ही होता है।
नौकरी जाने के बाद आर्थिक संकट का सामना मराठी मानुस करता है। क्या राज और उद्धव ठाकरे के बच्चों को कभी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ेगा?”
कांग्रेस और एनसीपी के शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “एक बात तो तय है कि इस गठबंधन में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए, और न ही किसी एक परिवार को ‘प्रथम’ मानकर चलने की सोच होनी चाहिए। बात मराठी मानुस को आगे रखने की होनी चाहिए। क्या ये लोग इस बात पर सहमत होंगे?”
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