उद्योग क्षेत्र में महाराष्ट्र की नकारात्मक छवि निर्माण करने की ठाकरे पिता-पुत्र की साजिश को उद्योग जगत ने विफल कर दिया है। दावोस में हुए विश्व आर्थिक सम्मेलन में महाराष्ट्र को निवेश के लिए जबरदस्त प्रतिसाद से यह बात साफ हो गई है। सम्मेलन के पहले ही सत्र में महाराष्ट्र को 1.37 लाख करोड़ के औद्योगिक निवेश के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर वैश्विक उद्योग जगत क्षेत्र ने महाराष्ट्र को अपनी पसंद की वरियता देकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार पर विश्वास दिखाया है। विधान परिषद के पूर्व विरोधी पक्ष नेता एवं भाजपा विधायक प्रवीण दरेकर ने बुधवार को यह बात कही। भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए दरेकर ने कहा कि पिछले साल मई महीने में हुए विश्व आर्थिक सम्मेलन में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नहीं गये जबकि आदित्य ठाकरे सम्मेलन में शामिल होने के बहाने स्विट्जरलैंड में पिकनिक मना रहे थे।
ठाकरे परिवार के आरोप सरासर झूठे: महाराष्ट्र से उद्योग बाहर जा रहे हैं। इस प्रकार का झूठा प्रचार कर उद्धव और आदित्य ठाकरे ने शिंदे-फडणवीस सरकार के विरोध में झूठा प्रचार करने का अभियान छेड़ा व उद्योग विश्व में महाराष्ट्र की प्रतिमा मलिन करने का जानबूझ कर प्रयत्न किया। परंतु ठाकरे परिवार के आरोप सरासर झूठे और सिर्फ राजनीतिक निराशा के चलते किये जा रहे हैं। हर बार यह स्पष्ट हुआ है। अब दावोस सम्मेलन में महाराष्ट्र को मिले प्रतिसाद से ठाकरे पिता-पुत्र का महाराष्ट्र को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ है। इस प्रकार का जवाबी हमला उन्होंने बोला है।
1.37 लाख करोड़ के निवेश का समझौता: पिछले साल के सम्मेलन में आदित्य ठाकरे के अनुसार हुए समझौता ज्ञापन के अनुसार वे उद्योग राज्य में निवेश करने के लिए आयें। इसके लिए ठाकरे सरकार ने कोई प्रयत्न नहीं किया। इसके विपरीत इसी कालावधि के दौरान महाराष्ट्र की बदनामी कर उद्योग क्षेत्र में महाराष्ट्र को लेकर अविश्वास का माहौल निर्माण करने की साजिश रची गई। इस प्रकार का आरोप करते हुए विधायक दरेकर ने कहा कि दावोस परिषद में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पहले ही सत्र में विभिन्न उद्योगों के लिए महाराष्ट्र के दरवाजे खोलकर 1.37 लाख करोड़ के निवेश का समझौता ज्ञापन का करार किया है। इससे राज्य में प्रत्यक्ष रूप से रोजगार के करीब एक लाख अवसर निर्माण होने वाले हैं। पिछले साल आदित्य ठाकरे ने हुए समझौते के अनुसार राज्य में उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल निर्माण किया होता तो राज्य में विकास का पहिया उल्टा नहीं घुमता। इस प्रकार का बयान उन्होंने दिया। महाराष्ट्र में आने वाले निवेश का स्वागत करने के बदले बेबुनियाद बयानबाजी कर सांसद संजय राऊत ने अपनी संकुचित मनोवृत्ति उजागर कर दी है। इस प्रकार की बयान विधायक दरेकर ने दिया है।
संकट अब टल गया है: शिंदे-फडणवीस सरकार ने दुनिया भर के निवेशकों में महाराष्ट्र के बारे में फिर से विश्वास निर्माण किया है। रियायतों की गारंटी, वेगवान मंजूरी प्रतिक्रिया और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचा की सुविधा सहित उद्योगों के सामने अड़चन निर्माण करने वाली प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने का आश्वासन सरकार की ओर से दिये जने पर राज्य में फिर से उद्योगों के अनुकूल माहौल निर्माण हुआ है। ठाकरे सरकार के कार्यकाल के दौरान उद्योग क्षेत्र के लिए निर्माण हुआ संकट अब टल गया है और विकास की रफ्तार नये जोश के साथ शुरू हुई है। जिसकी वजह से भविष्य में रोजगार, औद्योगिकीकरण, बुनियादी सुविधा और एक समृद्ध जीवन शैली का अनुभव महाराष्ट्र में मिलेगा। इस प्रकार का विश्वास विधायक दरेकर ने व्यक्त किया है।
महत्वपूर्ण आगामी परियोजनाएं :
–अमेरिका के न्यू एरा क्लीनटेक सॉल्यूशंस की ओर से चंद्रपुर में 20 हजार करोड़ का कोल गसिफिकेशन परियोजना (रोजगार 15 हजार)
-ब्रिटेन की वरद फेरो एलॉयज गडचिरोली जिलेके चामोर्शी में 1250 करोड़ का स्टील परियोजना (रोजागर 2 हजार)
-इसराइल की राजूरी स्टील अँड अलाईज चंद्रपुर जिले के मूल क्षेत्र में 600 करोड़ का स्टील प्रोजेक्ट (रोजगार एक हजार)
– पुर्तगाल की एलाईट प्लास्ट पुणे जिले के पिंपरी में 400 करोड़ का प्लास्टिक ऑटोमोटिव परियोजना ( रोजगार दो हजार)
– गोगोरो इंजीनियरिंग और बैडवे इंजीनियरिंग की 20 हजार करोड़ की परियोजना (रोजगार 30 हजार)
– रूखी फूड की 250 करोड़ की पुणे जिले में ग्रीन फिल्ड खाद
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