कर्नाटक के मुख्यमंत्री रोज महाराष्ट्र का अपमान कर रहे हैं। ‘सामना’ के पहले पन्ने पर शिवसेना ने इस ओर इशारा किया है कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री ने नागपुर के कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की पीठ पर थप्पड़ मारा क्योंकि उस पर केंद्र के सामने आवाज उठाने की उनमें हिम्मत नहीं थी।
क्या प्रधानमंत्री को मुंबई में महिलाओं की सुरक्षा को ताक पर रखकर अपनी ‘निर्भया’ योजना के पुलिस वाहनों को बेशर्म विधायकों की सुरक्षा के लिए तैनात करने के लिए मुख्यमंत्री को अपने करीब नहीं लाना चाहिए था और उनकी तारीफ करनी चाहिए थी? देशद्रोही विधायकों के पीछे महिला व पुलिस बल की सुरक्षा नहीं है। इसे कहा जाता है – “आय अस्सी, व्यय रुपये!” आलोचना की गई है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था इस नींव पर खड़ी है।
प्रधानमंत्री के मंच पर एक बाहरी सरकार बैठी थी और यह ‘बॉक्स’ सरकार के नाम से बदनाम है। इसलिए प्रधानमंत्री कितनी भी शिद्दत से अपनी भावनाओं का इजहार कर लें, वे अकेले कहां काफी होंगे?”
“कई बार हमें न चाहते हुए भी एक अतिरिक्त-संवैधानिक सरकार की पीठ थपथपानी पड़ती है। महाराष्ट्र में विकास के 11 सितारे उभर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसका पहला सितारा मुंबई से नागपुर समृद्धि राजमार्ग है। मोदी ने महाराष्ट्र के विकास के 11 सितारे गिनाए, लेकिन पिछले दो-चार महीनों में कई औद्योगिक परियोजनाएं महाराष्ट्र से हटाकर गुजरात चली गईं, विकास की धारा रुक गई और लाखों युवाओं की नौकरी चली गई|
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