विधि व न्याय विभाग ने भी उठाए थे ओबीसी अध्यादेश पर सवाल, इसलिए राज्यपाल ने नहीं किये हस्ताक्षर

विधि व न्याय विभाग ने भी उठाए थे ओबीसी अध्यादेश पर सवाल, इसलिए राज्यपाल ने नहीं किये हस्ताक्षर

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मुंबई। राज्य सरकार की मंशा ओबीसी आरक्षण देने की नहीं है। क्योंकि राज्य सरकार के मूल प्रस्ताव में विधि एवं न्याय विभाग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अध्यादेश जारी होने से पहले सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेना अनिवार्य है। यह बात भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने कही है। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हु कि उनकी सरकार में क्या हो रहा है, इसके बारे में उन्हें वास्तव में कोई जानकारी है। या क्या उनके पास संबंधित विभाग प्रमुख से संवाद करने का समय नहीं है? क्या वे नहीं जानते कि भाजपा नेता किरीट जी को गिरफ्तार किया जा रहा है और सभी ओबीसी के राजनीतिक अस्तित्व के लिए आवश्यक राज्य आरक्षण अध्यादेश के प्रस्ताव में खामियां हैं?

जबकि उनके विभाग ने इसमें नकारात्मक भूमिका निभाई है। इस अध्यादेश का प्रस्ताव बिना कोई समाधान निकाले राज्यपाल को किस उद्देश्य से भेजा गया है? गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण खत्म करने के बाद उसे बहाल कराने के लिए राज्य सरकार अध्यादेश ला रही है। यह अध्यादेश राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए राजभवन भेजा गया है पर राज्यपाल ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं क्योंकि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में प्रलंबित है। इस लिए राज्यपाल ने इस बाबत राज्य सरकार से स्पस्टीकरण मांगा है।

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