केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को बताया की सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट में आई सुस्ती ‘सिस्टिमैटिक’ नहीं है और तीसरी तिमाही में इसकी भरपाई कर सकती है। बता दें की, जुलाई-सितंबर तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 फीसदी की दर से बढ़ा है, जबकि अप्रैल-जून तिमाही में ग्रोथ रेट 6.7 फीसदी थी। दरम्यान आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट के अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है।
दरसल वित्त मंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा, “यह सिस्टिमॅटिक स्लोडाऊन नहीं है। यह पब्लिक एक्सपेंडीचर, कैपिटल स्पेंडिंग औरअन्य गतिविधियों में कमी की वजह से है। मुझे उम्मीद है कि तीसरी तिमाही में इन सबकी भरपाई हो जाएगी।” वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति में ग्रोथ रेट के डेटा पर बुरा असर पड़ना जरूरी नहीं है।
उन्होंने कहा, “हमें कई अन्य कारकों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।” वित्त मंत्री के अनुसार भारत अगले साल और उसके बाद भी सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। लोकसभा के चुनाव और कैपिटल स्पेंडिंग में कमी के कारण पहली तिमाही में ग्रोथ की रफ्तार सुस्त हुई है। इसका असर दूसरी तिमाही पर भी पड़ा है। पहली छमाही में सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये के अपने पूंजीगत व्यय लक्ष्य का सिर्फ 37.3 प्रतिशत ही खर्च किया।
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सीतारमण ने कहा कि आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों में वैश्विक मांग में स्थिरता भी शामिल है, जिसने निर्यात वृद्धि को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा, “भारतीयों की क्रय शक्ति बढ़ रही है, लेकिन भारत के भीतर आपको वेतन में वृद्धि के स्थिर होने से जुड़ी चिंताएं भी हैं। हम इन कारकों से अच्छी तरह वाकिफ हैं। इनका भारत की अपनी खपत पर प्रभाव पड़ सकता है।”