असली शिवसेना और तीर कमान का चुनाव चिह्न किसे मिलेगा, इस मुद्दे पर सोमवार को केंद्रीय चुनाव आयोग के समक्ष दस्तावेज और लिखित दलीलें पेश करने का अंतिम समय सीमा है। उसके बाद दो-चार दिनों में आयोग का फैसला आने की उम्मीद है।
अंधेरी विधानसभा उपचुनाव के दौरान आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न धनुष बाण पर रोक लगा दी थी और दोनों गुटों को अलग-अलग नाम और चिन्ह दे दिया था। आयोग अब इस आधार पर अंतिम फैसला सुनाएगा कि एक गुट शिवसेना के नाम और दूसरा धनुष बाण का चुनाव चिह्न हासिल करने में सफल होगा, वहीं इस फैसले पर राज्य की जनता का ध्यान टीका हुआ है।
शिवसेना के 40 विधायक और 13 सांसद शिंदे गुट साथ हैं और राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कई पदाधिकारियों का समर्थन प्राप्त है। इसलिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग से मांग की है कि असली शिवसेना हमारी है और धनुष बाण का चुनाव चिन्ह हमें मिलना चाहिए। शिंदे समूह ने शिवसेना के गठन और उद्धव ठाकरे के चुनाव आयोग के समक्ष पार्टी प्रमुख के रूप में चुनाव पर आपत्ति जताई है।
जबकि ठाकरे समूह ने शिंदे समूह की आपत्तियों को खारिज कर दिया, आयोग को इस मामले में निर्णय नहीं देना चाहिए, जबकि विधायक अयोग्यता याचिका सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष लंबित है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अधिकांश पदाधिकारी हमारे साथ हैं। विधान परिषद के विधायक और राज्यसभा सांसद हमारे साथ हैं। ठाकरे समूह ने मुद्दों को उठाया है जैसे कि शिंदे समूह द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज फर्जी हैं, उनकी जांच की जानी चाहिए। पार्टी प्रमुख के रूप में उद्धव ठाकरे का कार्यकाल 23 जनवरी को समाप्त हो गया है।
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