अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को अपनी टैरिफ (आयात शुल्क) नीति का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि उनकी सरकार द्वारा अपनाया गया तरीका विदेशी देशों पर दबाव बनाने का सबसे तेज, सीधा और प्रभावी उपाय है।
ट्रंप ने कहा कि कई राष्ट्र वर्षों से अमेरिका का आर्थिक नुकसान करते रहे हैं, ऐसे में कड़े कदम उठाना अनिवार्य था। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मान्य वर्तमान टैरिफ मॉडल सरल, तेज और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
ट्रंप ने दावा किया कि राष्ट्रपति के विशेष अधिकारों की वजह से उन्होंने दस महीनों में आठ युद्ध खत्म करने में सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि यदि विदेशी देशों को लगता कि अमेरिका के पास टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं है, तो वे इसका खुलकर विरोध करते।
ट्रंप के अनुसार उनकी ट्रेड नीति पूरी तरह कानूनी और न्यायिक समर्थन की पात्र है। इसी उद्देश्य से उन्होंने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से अपनी नीति को मंजूरी देने की अपील भी की है, क्योंकि इस पर कई कानूनी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
ट्रंप ने यह भी कहा कि उनकी टैरिफ नीति ने अमेरिका को धनवान, मजबूत और सुरक्षित बनाया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने “लिबरेशन डे टैरिफ” लागू कर कई देशों के साथ नए व्यापार समझौते किए, जिससे न केवल रिश्ते सुधरे बल्कि संघर्ष भी रुके।
ट्रंप ने आगे कहा कि शेयर बाजार और 401k रिटायरमेंट फंड अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं, जबकि मुद्रास्फीति और टैक्स में कमी आई है। उनके अनुसार, शिक्षा अधिकार राज्यों को लौटाया जा रहा है और सेना व दक्षिणी सीमा पहले से कहीं अधिक मजबूत हुई है।
हालांकि, इस बीच सुप्रीम कोर्ट यह तय कर रहा है कि ट्रंप की टैरिफ नीति राष्ट्रपति के संवैधानिक अधिकारों के भीतर आती है या नहीं। मामला 1977 के आपातकालीन कानून IEEPA से जुड़ा है, जिसके तहत राष्ट्रपति आयात को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन इसका उपयोग पहले कभी व्यापक टैरिफ लगाने के लिए नहीं किया गया था।
कई न्यायाधीशों ने आशंका जताई है कि यदि कोर्ट इस नीति को सही ठहराता है, तो राष्ट्रपति की शक्तियाँ अत्यधिक बढ़ सकती हैं। जस्टिस एमी कोनी बैरेट ने चेतावनी दी कि यदि अदालत इसे खारिज करती है, तो स्थिति भी जटिल हो सकती है।
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