उत्तर प्रदेश में इस बार भारतीय जनता पार्टी के वोट प्रतिशत में 9 प्रतिशत तक की गिरावट आने के बाद पार्टी में हड़कंप मचा हुआ है| केंद्र में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की सबसे बड़ी वजह उत्तर प्रदेश ही है| इसलिए अब पार्टी में हार को लेकर मंथन शुरू हो गया है| भाजपा ने इसकी जांच के लिए नेताओं की एक टास्क फोर्स बनाएगी, जिसमें संगठन के पदाधिकारियों के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा|
इस टास्क फोर्स में 60 से ज़्यादा सदस्यों को शामिल किया गया है, जो विधानसभा क्षेत्रों में जाकर हार की वजहों का पता लगाएंगे| पार्टी की रणनीति के मुताबिक ये नेता गांव-गांव जाकर ये जानने की कोशिश करेंगे कि भाजपा के कोर वोटरों में किसी दल ने सेंध लगाई है| वो गैर यादव ओबीसी और ग़ैर जाटव दलित वोटर जो भाजपा के साथ मजबूती से खड़ा था वो पार्टी से दूर क्यों हुआ? इन तमाम मुद्दों के अलावा ये भी जानने की कोशिश की जाएगी कि पार्टी में किसने भितरघात किया है|
केंद्र में मोदी-03 सरकार के गठन के बाद भाजपा फोकस अब यूपी में पार्टी के ग्राफ गिरने के कारणों की पड़ताल को प्रमुखता से जांच करने को लेकर होने वाला है। दरअसल, यूपी के चुनाव परिणाम से भाजपा के स्थानीय से लेकर शीर्ष नेतृत्व में हड़कंप मचा हुआ। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार करीब नौ फीसदी कम वोट मिले हैं। भाजपा के पक्ष में कम मतदान की जांच होगी और इसके लिए पार्टी के नेताओं की एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।
केंद्र में भले ही लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बन गई है, लेकिन पार्टी के लिए सबसे मजबूत सियासी जमीन यूपी में खिसकने की टीस सभी नेताओं को हो रही है। इसलिए अब पार्टी ने नुकसान पहुंचाने वालों के साथ उन मतदाताओं के बारे में भी पता लगाने का फैसला किया गया है कि जो इस बार भाजपा के बजाए विपक्ष की तरफ खिसक गए हैं। आने वाले दिनों में प्रदेश की दस सीटों पर उपचुनाव भी होने हैं| ऐसे में पार्टी अपनी तमाम कमियों को दुरुस्त करने में जुट गई है|
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