जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंगलवार(8 अप्रैल) को वक्फ अधिनियम को लेकर विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच तीखी बहस और शोरगुल के चलते सदन की कार्यवाही को 30 मिनट के लिए स्थगित करना पड़ा। नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के विधायकों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और बहस इस कदर बढ़ गई कि विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर को हस्तक्षेप करना पड़ा।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही पीडीपी विधायक वहीद पारा और पीसी के सज्जाद गनी लोन अपनी सीटों से खड़े होकर वक्फ अधिनियम में हालिया संशोधनों पर चर्चा की मांग करने लगे। इस बीच एनसी विधायक सलमान सागर और सज्जाद लोन के बीच तल्ख बहस हुई, जिसमें दोनों ने एक-दूसरे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया। अध्यक्ष द्वारा कई बार विधायकों से शांत रहने और अपनी सीटों पर लौटने की अपील के बावजूद हंगामा बढ़ता गया।
स्थिति उस समय और बिगड़ गई जब अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के विधायक खुर्शीद अहमद भी इस बहस में शामिल हो गए। नतीजतन, स्पीकर ने वक्फ अधिनियम पर चर्चा की अनुमति देने से इनकार करते हुए कार्यवाही को 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि चूंकि यह मामला न्यायालय में लंबित है, इसलिए विधानसभा में इस पर बहस संभव नहीं है।
विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में वहीद पारा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब राज्य का एकमात्र मुस्लिम बहुल क्षेत्र इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दे का सामना कर रहा है, तो मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की सदन में उपस्थिति आवश्यक थी। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने सदन में आने के बजाय ट्यूलिप गार्डन में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के साथ टहलने को प्राथमिकता दी।
इससे पहले, एनसी के प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक ने वहीद पारा पर भाजपा के इशारों पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पारा विपक्ष की आड़ में सत्ता की सहूलियत से खेल रहे हैं। जवाब में सज्जाद लोन ने कहा कि यदि नेशनल कॉन्फ्रेंस को स्पीकर पर अविश्वास है तो उसे उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहिए। अन्यथा, यह पूरा विवाद सिर्फ एक राजनीतिक ड्रामा ही प्रतीत होगा।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा का मौजूदा 40 दिवसीय बजट सत्र 11 अप्रैल को समाप्त होने जा रहा है।
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