उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और महत्वाकांक्षी कदम उठाते हुए 2030 तक 500 गीगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह फैसला राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है, साथ ही इससे पर्यावरण संरक्षण और हरित विकास को भी नई गति मिलेगी।
सरकार की इस नीति का प्रभाव केवल ऊर्जा उत्पादन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह प्रदेश के आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी परिदृश्य को भी व्यापक रूप से प्रभावित करेगा। सोलर पैनल निर्माण, इंस्टालेशन और ग्रिड एकीकरण जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की संभावनाएं बन रही हैं। इससे उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा और निवेश के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
इस दिशा में एक विशेष कदम उठाते हुए योगी सरकार ने 60 हजार युवाओं को ‘सोलर मित्र’ के रूप में प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है। ये सोलर मित्र राज्यभर में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के संचालन, रखरखाव और विस्तार में अहम भूमिका निभाएंगे। यह पहल न सिर्फ रोजगार को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि तकनीकी रूप से दक्ष मानव संसाधन तैयार कर ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार को भी बढ़ावा देगी।
सौर ऊर्जा को लेकर सरकार की प्राथमिकता यह दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश अब पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता घटाकर हरित ऊर्जा की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यह कदम केंद्र सरकार की ‘नेशनल सोलर मिशन’ की भावना से भी मेल खाता है और भारत को 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।
वास्तव में, यह महत्त्वाकांक्षी पहल उत्तर प्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में एक मॉडल राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास है। जहां एक ओर यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक जिम्मेदार कदम है, वहीं दूसरी ओर यह युवाओं को तकनीकी सशक्तिकरण और रोजगार के नए द्वार भी प्रदान करता है।
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