सोमवार (27 जनवरी) को उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन चूका है। सामान नागरी कानून देश के कानूनी ढांचे में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। UCC का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत नागरिक कानूनों को मानकीकृत करना, समान अधिकार सुनिश्चित करना और अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर सभी नागरिकों के लिए कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाना है।
उत्तराखंड UCC के मुख्य प्रावधान:
विवाह और तलाक: UCC विवाह और तलाक में सभी धर्मों के लिए एक समान कानूनी ढांचा होगा, जो सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और जिम्मेदारियाँ सुनिश्चित करता है। हर धर्म और जाति की लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी।
उत्तराधिकार और विरासत: UCC के अनुसार उत्तराधिकार और विरासत से संबंधित कानूनों को मानकीकृत किया गया है। संपत्ति में लड़के और लड़कियों की बराबरी की हिस्सेदारी होगी।जिससे लड़का-लड़की के बीच निष्पक्षता और समानता को सुनिश्चित होगी। बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलेगा लेकीन, दूसरे धर्म का बच्चा गोद नहीं ले सकते।
विवाहों का पंजीकरण: हर धर्म और जाति की लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी। सरकार ने 26 मार्च, 2010 से पहले या राज्य के बाहर किए गए विवाहों के पंजीकरण के लिए छह महीने की अवधि निर्धारित की है। पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
कार्यान्वयन समय-सीमा: उत्तराखंड सरकार ने 26 मार्च, 2010 से पहले या राज्य के बाहर किए गए विवाहों के पंजीकरण के लिए छह महीने की अवधि तय की है।
लिव-इन रिलेशनशिप: लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा। लिव-इन रिलेशनशिप वालों की उम्र 18 और 21 साल से कम है तो माता-पिता की सहमति लेनी होगी। लिव इन से पैदा होने वाले बच्चे को शादी शुदा जोड़े के बच्चे की तरह अधिकार मिलेगा।
मुस्लिम वैयक्तिक कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) पर पड़ने वाला प्रभाव: यूसीसी लागू होने के बाद निकाह का रजिस्ट्रेशन सरकारी दफ्तरों में कराना अनिवार्य हो जाएगा। इस्लामी तीन तलाक के प्रथा अमान्य होगी, सभी के लिए कानून एक समान होगा। बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलेगा लेकीन, दूसरे धर्म का बच्चा गोद नहीं ले सकते। हलाला और इद्दत जैसी प्रथा बंद होंगी। एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
बता दें की, वर्ष 2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के दरम्यान में भाजपा ने वादा किया था कि, राज्य में UCC को लागू करेंगे। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता की बागडोर संभालते ही मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में UCC प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। समान नागरिक संहिता (UCC) की शुरुआत भारत के कानूनी परिदृश्य में एक ऐतिहासिक बदलाव को दर्शाती है, जिसका उद्देश्य पूरे राज्य में समानता प्रदान करना और व्यक्तिगत कानूनों को सरल बनाना है। इस विकास से उत्तराखंड के सामाजिक और कानूनी ताने-बाने पर गहरा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इसी से नागरिकों के बीच एकरूपता और समानता की नींव रखी जा रही है।
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उत्तराखंड UCC लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। इससे पहले असम समेत कई राज्यों ने भी यूसीसी अधिनियम को एक मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा जताई है। साथ ही देस भर में UCC लागू करने को लेकर मांगे तेज है, ऐसे में पुष्कर सिंह धामी सरकार का यह ढृढ़तापूर्ण निर्णय सामान नागरी कानूनों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।