उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मुखवा गांव स्थित मुखीमठ मंदिर में पीएम जोड़ी मोदी ने आज यानि गुरुवार को पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने हर्षिल में ट्रैक और बाइक रैली को हरी झंडी दिखाकर विशाल जनसभा को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि उत्तराखंड की यह देवभूमि अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है। इसे चारधाम और अनगिनत तीर्थस्थलों का आशीर्वाद प्राप्त है। मां गंगा के शीतकालीन गद्दी स्थल पर आकर और आप सभी से मिलकर मैं स्वयं को धन्य महसूस कर रहा हूं।
उन्होंने मां गंगा की सेवा को अपना सौभाग्य बताते हुए कहा, “मां गंगा की कृपा से ही मुझे दशकों तक उत्तराखंड की सेवा करने का अवसर मिला। उन्हीं के आशीर्वाद से मैं काशी पहुंचा और वहां के सांसद के रूप में भी उनकी सेवा कर रहा हूं। इसीलिए मैंने कहा था कि मुझे मां गंगा ने बुलाया है। कुछ समय पहले मुझे ऐसा भी लगा कि जैसे मां गंगा ने अब मुझे गोद ले लिया है। आज मैं उनके मायके, मुखवा गांव में आकर अभिभूत हूं।”
पीएम मोदी ने याद करते हुए कहा कि जब वह कुछ साल पहले केदारनाथ पहुंचे थे, तब उनके मन से अनायास ही यह विचार प्रकट हुआ था कि “यह दशक उत्तराखंड का होगा।” उन्होंने कहा कि यह केवल उनका विचार नहीं था, बल्कि इसके पीछे बाबा केदारनाथ की शक्ति थी। आज वह देख रहे हैं कि बाबा के आशीर्वाद से यह बात धीरे-धीरे साकार हो रही है और उत्तराखंड विकास के नए आयाम छू रहा है।
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि चारधाम ऑल वेदर रोड, आधुनिक एक्सप्रेसवे, रेलवे, विमान और हेलीकॉप्टर सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ है। हाल ही में केंद्र सरकार ने केदारनाथ रोपवे और हेमकुंड रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है। केदारनाथ रोपवे बनने के बाद, जहां पहले यात्रा में 8-9 घंटे लगते थे, वहीं अब यह मात्र 30 मिनट में पूरी हो सकेगी, जिससे बुजुर्गों और बच्चों के लिए यात्रा और भी आसान हो जाएगी।
पीएम मोदी ने उत्तराखंड में पर्यटन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि “मेरा सपना है कि उत्तराखंड में कभी ऑफ-सीजन न हो, बल्कि हर सीजन टूरिज्म से भरपूर रहे।” 2014 से पहले चारधाम यात्रा पर हर साल औसतन 18 लाख यात्री आते थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 50 लाख से अधिक हो गई है। सर्दियों में ट्रैकिंग और स्कीइंग जैसी गतिविधियां यहां के पर्यटन को और भी रोमांचक बनाती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों को भी पर्यटन से जोड़ने की आवश्यकता है। पहले इन्हें “आखिरी गांव” कहा जाता था, लेकिन अब सरकार ने इन्हें “प्रथम गांव” मानकर उनके विकास के लिए वाइब्रेंट विलेज योजना शुरू की है, जिसमें इस क्षेत्र के 10 गांव शामिल किए गए हैं।
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