महाराष्ट्र के राज्यपाल और बीजेपी के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार (9 सितंबर )को उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज की। संसद के दोनों सदनों से कुल 752 वैध वोट डाले गए, जिनमें से राधाकृष्णन को 452 वोट मिले। उनके प्रतिद्वंद्वी और विपक्ष समर्थित उम्मीदवार, सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस बी. सुधर्शन रेड्डी को केवल 300 वोट मिले।
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास पहले से ही 427 सांसदों का मजबूत आंकड़ा था, जो बहुमत के लिए आवश्यक 377 से कहीं ऊपर है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस ने भी अपने 11 वोट राधाकृष्णन के पक्ष में डाले। इस आधार पर उनकी जीत तय मानी जा रही थी।
क्रॉस-वोटिंग का सवाल
लेकिन चुनाव परिणाम ने विपक्षी खेमे में हलचल मचा दी है। विपक्षी INDIA ब्लॉक के पास 315 सांसदों का समर्थन था, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) के 12 वोट भी उनके पक्ष में जाने की उम्मीद थी। यानी, जस्टिस रेड्डी को कम से कम 327 वोट मिलने चाहिए थे। इसके बजाय उन्हें केवल 300 वोट मिले, यानी 27 कम। इसमें से कुछ वोट अवैध घोषित किए गए हो सकते हैं, लेकिन पूरे 15 वोटों के गायब होने से विपक्ष के भीतर क्रॉस-वोटिंग की आशंका और गहरी हो गई है।
भाजपा ने भी इस मौके पर विपक्ष पर तंज कसा। पार्टी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, “सारी शोरगुल के बावजूद INDIA उम्मीदवार को केवल 300 वोट मिले, जो उनके दावे से 15 कम हैं।”
विपक्ष में दरार
कांग्रेस के सूत्रों ने मीडिया से बातचीत में नतीजों की जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी पर डाली, हालांकि AAP ने चुनाव से पहले विपक्ष को समर्थन देने का आश्वासन दिया था। कांग्रेस और AAP के बीच सीट बंटवारे को लेकर दिल्ली और हरियाणा चुनावों में पहले से ही खटास रही है। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति चुनाव गुप्त मतदान के जरिए होता है, जिससे किसी भी दल के सांसदों के लिए विपक्षी उम्मीदवार को वोट देना आसान हो जाता है। यही कारण है कि विपक्षी सांसदों की वफादारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
विजेता और पराजित की प्रतिक्रिया
हार के बाद जस्टिस रेड्डी ने कहा, “मैं इस नतीजे को विनम्रता से स्वीकार करता हूं और अपने महान गणराज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अटूट विश्वास बनाए रखता हूं। विपक्षी नेताओं का आभारी हूं जिन्होंने मुझ पर भरोसा जताया।” वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने सीपी राधाकृष्णन को बधाई देते हुए लिखा, “उनका जीवन समाज सेवा और गरीबों एवं वंचितों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित रहा है। मुझे विश्वास है कि वे एक उत्कृष्ट उपराष्ट्रपति साबित होंगे और हमारे संविधान को और मजबूत करेंगे।”
इस जीत ने न सिर्फ भाजपा की ताकत को और पुख्ता किया है, बल्कि INDIA ब्लॉक की एकजुटता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर जब बिहार चुनाव जैसे अहम मोर्चे करीब हैं।
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