वीडियो कटवा के किया शेयर, SHO के निलंबन की मांग; अखिलेश सिंग घिर गए आलोचकों के बीच

पुलिस की बदनामी और दंगाई तत्वों के समर्थन में एक प्रादेशिक पार्टी के अध्यक्ष द्वारा गलत जानकारी साझा करने के लिए उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा।

वीडियो कटवा के किया शेयर, SHO के निलंबन की मांग; अखिलेश सिंग घिर गए आलोचकों के बीच

Video was cut and shared, demand for suspension of SHO; Akhilesh Singh surrounded by critics

बुधवार (20 नवंबर), उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में मुस्लिम भीड़ द्वारा मतदान में बाधा डालने का आरोप करते हुए हिंसा की। इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिसमें से  एक वीडिओ में एक पुलिस इंस्पेक्टर पिस्तौल लिए नजर आ रहा है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस वीडिओ को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए इसे मतदाताओं को डराने की कोशिश बताया और इंस्पेक्टर को निलंबित करने की मांग भी की। हालांकि, मुजफ्फरनगर पुलिस ने अखिलेश यादव के आरोपों का खंडन किया है, साथ ही नेटिज़न्स ने उन पर झूठ बोलने का भी आरोप लगाया।

अखिलेश यादव द्वारा शेयर 28 सेकंड के वीडिओ में कई महिलाएं पुलिस के सामने खड़ी नजर आ रही हैं। वे पुलिस से गोली न चलाने के लिए कह रहे हैं और इसे तुरंत रोकने के लिए कुछ करने का वादा कर रहे हैं। इस वीडिओ में आप देख सकते है की रास्ते पर पत्थर बिखरें पड़े है, और एक पुलिस अधिकारी अपनी पिस्तौल से दूर खड़े लोगों को इशारे से कुछ बोल रहा है। इस वीडिओ को शेयर कर समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश ने लिखा, “मीरापुर के ककरौली थाना क्षेत्र के SHO को चुनाव आयोग तुरंत निलंबित किया जाए, क्योंकि वो रिवॉल्वर से धमकाकर वोटर्स को वोट डालने से रोक रहे हैं।”

दरसल वीडियो में दिख रहे पुलिस अफसर ककरौली के SHO राजीव शर्मा हैं। साथ ही मुजफ्फरनगर पुलिस ने अखिलेश यादव के ट्वीट को साजिश बताया। मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आईपीएस अभिषेक सिंह ने कहा कि एक लंबे वीडियो का संपादित हिस्सा एक सुनियोजित साजिश के तहत काटा गया है। उन्होंने SHO शर्मा की कारवाई को स्थिति को नियंत्रण में लाने का प्रयास बताते हुए कहा कि कारवाई जारी है और हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। आईपीएस अभिषेक सिंह के अनुसार, दो पक्षों के बीच झड़प की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची।  पुलिस को देखकर कुछ लोग रास्ता रोकने की कोशिश करने लगे। पुलिस ने जब सड़क पर लगे बैरिकेड को हटाने की कोशिश की तो हमलावरों ने उन पर पथराव किया। पुलिस ने हिंसा पर काबू पाने के लिए आवश्यक बल प्रयोग किया। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद, दंगाई पिछे हटें और महिलाओं को आगे भेजा।

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वहीं आलोचकों ने समाजवादी पार्टी नेता की इस हरकत की कड़ी निंदा की है। पुलिस की बदनामी और दंगाई तत्वों के समर्थन में एक प्रादेशिक पार्टी के अध्यक्ष द्वारा गलत जानकारी साझा करने के लिए उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा। लोगों ने अखिलेश यादव के ट्वीट के जवाब में पूरा वीडियो अपलोड किया है, जो की 1 मिनट 48 सेकंड की वीडियो है, जिसमें भीड़ दंगा करती और पुलिस पर हमला करती नजर आ रही है। घर की छत पर कई महिलाएं खड़ी हैं। पुलिस हमले से बचने के लिए दीवार के पीछे छिप रही है। जैसे ही फुटेज खत्म होता है, पुलिसकर्मी पिस्तौल के साथ दंगाइयों का पीछा करने की कोशिश करता हुआ दिखाई देता है।

 

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