मुंबई। नवजोत सिद्धू के मंगलवार को किये गए ट्वीट ने नए समीकरण की ओर इशारा कर रहे हैं।सिद्धू ने आप पार्टी के कसीदे पढ़ें हैं। हालांकि कांग्रेस इससे पहले ही भांप लिया था,लेकिन अमरिंदर सिंह के आगे घुटने टेक चुकी कांग्रेस, ऐसा लगता है कि सिद्धू को रोकने में नाकाम होगी। हालांकि कुछ दिन पहले ही सिद्धू ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा था। सिद्धू ने ट्वीट किया था कि प्रदेश को दिल्ली मॉडल की नहीं, बल्कि पंजाब मॉडल की जरूरत है। नीति पर काम न करने वाली राजनीति महज नकारात्मक प्रचार है और लोकपक्षीय एजेंडे से वंचित नेता राजनीति सिर्फ बिजनेस के लिए करते हैं। इसलिए विकास बगैर राजनीति उनके लिए कोई मायने नहीं रखती है। अगर वर्तमान समय में सिद्धू बीजेपी में होते तो सीएम का चेहरा होते लेकिन, उन्होंने धैर्य नहीं रखा और पाला बदल लिया।
यह आशंका एक माह पहले ही जोर पकड़ने लगी थी, जब कांग्रेस ने पंजाब के मंत्रियों और नाराज नवजोत सिंह सिद्धू से बातचीत की थी। इस बातचीत में यह बात सामने आई थी कि कांग्रेस हर हाल में सिद्धू को कोई पद देना चाहती थी। इस बातचीत के बाद बनी रिपोर्ट में कहा गया था कि आप पार्टी से सिद्धू को दूर रखने के लिए कोई पद दिया जाए लेकिन ऐसा नहीं हो सका है और सिद्धू एक बार फिर नया ठिकाना ढूंढ रहे हैं। भाजपा में अपनी पारी खेलकर कांग्रेस में शामिल हुए सिद्धू की चाह मुख्यमंत्री बनने की है,लेकिन अभी सिद्धू ख्यालों में ही जी रहे हैं। अगर वर्तमान समय में सिद्धू बीजेपी में होते तो सीएम का चेहरा होते, लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं रखा और पाला बदल लिया। बीजेपी ने सिद्धू को बड़ा मौका दिया था,लेकिन इसे भांप नहीं पाएऔर कांग्रेस में शामिल होकर एक बार फिर उछल-कूद शुरू कर दी है।
क्या कहा गया है रिपोर्ट में:
कांग्रेस आलाकमान का डर अब अगर सही साबित होता है तो फिर कांग्रेस को आगामी पंजाब विधान सभा चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। जिस तरह से सिद्धू ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थामे,लेकिन वहां भी उनको कोई तवज्जो नहीं मिला। तो लाजमी है कि सिद्धू कोई दूसरा ठिकाना ढूंढ रहे हैं तभी कांग्रेस हाईकमान सिद्धू को लेकर फिक्रमंद था। आम आदमी पार्टी भी चाहेगी की नवजोत सिंह सिद्धू जैसा नेता पार्टी में शामिल हो। क्योंकि हाल फिलहाल आम आदमी पार्टी की पंजाब में कमजोर है। उधर अकाली दल के भी ज्यादा उभार की गुंजाइश नहीं है। क्योंकि भाजपा इस बार विधानसभा में अकेले चुनाव लड़ना चाहेगी।
वहीं, कांग्रेस राज्य में बने समीकरण को बिगड़ना नहीं चाहेगी। सीएम अमरिंदर के अड़ियल रवैये पर आलाकमान किसी प्रकार की सख्ती नहीं दिखाई है। तो साफ है राज्य को कैप्टन के हवाले छोड़ दिया गया है। जिससे कांग्रेस टकराव भी नहीं चाहती है। कांग्रेस की एक समिति ने पंजाब नेताओं के साथ मुलाकात कर रिपोर्ट तैयार की थी।जिसमें पंजाब के नेता सिद्धू को महत्वपूर्ण पद देने के पक्ष में नहीं था, लेकिन हाईकमान सिद्धू को एक महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपना चाहता था। ताकि आगामी चुनाव के कैंपेन में सिद्धू का उपयोग किया जा सके।
Our opposition AAP has always recognized my vision & work for Punjab. Be it before 2017- beadbi, drugs, farmers issues, corruption & power crisis faced by people of Punjab raised by me, tweets Congress MLA Navjot Singh Sidhu pic.twitter.com/G9DD4wOjGY
— ANI (@ANI) July 13, 2021
मेरे विजन और पंजाब के लिए काम को आम आदमी पार्टी ने हमेशा पहचाना है। फिर चाहे वह 2017 से पहले की बात हो, ड्रग्स, किसानों के मुद्दे, भ्रष्टाचार हो या बिजली संकट का सामना। जब मैं पंजाब मॉडल पेश कर रहा हूं तो यह स्पष्ट है कि वे जानते हैं कि वास्तव में पंजाब के लिए कौन लड़ रहा है।