31.3 C
Mumbai
Monday, October 7, 2024
होमधर्म संस्कृतिराम क्षत्रिय थे या नहीं? कोई जवाब नहीं देता, जितेंद्र आव्हाड कहते...

राम क्षत्रिय थे या नहीं? कोई जवाब नहीं देता, जितेंद्र आव्हाड कहते हैं…!

जब हम कहते हैं कि राम हमारे हैं, तो हम कहते हैं कि यह हमारा है। राम के प्रति सभी के मन में आदर का भाव है। राम जो अपने माता-पिता की बात सुनते हैं, राम जो अपने पिता की बात मानते हैं, राम जो विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हैं।

Google News Follow

Related

मैंने राम के संबंध में केवल एक ही प्रश्न पूछा। इसके बाद मुझे खूब गालियां दी गईं|’ अब तो ऐसा हो गया है कि वैचारिक लड़ाई लड़ने की जरूरत ही नहीं रही| मैंने एक विचार रखा कि माँ, बहन का अपमान होता है। इसके चलते मौजूदा विपरीत परिस्थिति में शांत रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है| क्योंकि अब कोई वैचारिक लड़ाई नहीं है, लेकिन क्या राम क्षत्रिय थे या नहीं? इसका जवाब दो। इसका जवाब देने के लिए कोई आगे नहीं आता, जब हम कहते हैं कि राम हमारे हैं, तो हम कहते हैं कि यह हमारा है। राम के प्रति सभी के मन में आदर का भाव है। राम जो अपने माता-पिता की बात सुनते हैं, राम जो अपने पिता की बात मानते हैं, राम जो विपरीत परिस्थितियों से लड़ते हैं।

आप हिंदू धर्म को नहीं जानते: शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के लिए क्या किया? जब अब ऐसा सवाल पूछा जा रहा है| तो फिर उत्तर क्या होना चाहिए? आज हम जो हिन्दू धर्म देखते हैं वह शंकराचार्य के कारण ही है। ये पीठ आज की नहीं हैं, ये आदि शंकराचार्य की हैं और अब आप पूछ रहे हैं कि शंकराचार्य ने क्या किया। तो कहना पड़ेगा, आप हिंदू धर्म को नहीं जानते| हम वैचारिक लड़ाई के लिए तैयार हैं, लेकिन वे तैयार नहीं हैं| जब लोगों ने बोलना बंद कर दिया तो इस देश का लोकतंत्र ख़त्म हो गया।

22 तारीख को क्यों करें दर्शन?: हमें 22 तारीख को अयोध्या में राम के दर्शन क्यों करने चाहिए? हम 23 या 24 तारीख को यात्रा पर जा रहे हैं|’ आपको राम मंदिर के लिए निमंत्रण की आवश्यकता क्यों है? राम मंदिर कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को क्यों नहीं बुलाया गया? अपने वनवास के दौरान राम आदिवासियों के संपर्क में आये। लेकिन आज उस आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किया गया है| उन्हें भुला दिया गया है| राम के वनवास का अधिकांश समय आदिवासियों के पास था।

22 जनवरी का महत्व क्या है: 22 जनवरी का महत्व क्या है? यह पूजा पाठ का दिन नहीं है| 1970 के बाद से राम के नाम पर चुनाव लड़ा जाता रहा है| आज से 40-45 दिन में चुनाव की घोषणा हो जायेगी| अब इन लोगों ने पूजा की है जिसके बाद प्रसाद बांटा जाएगा| इसके बाद राम की पुस्तक निकालकर वितरण किया जाएगा। हम भूल जाते हैं कि राजीव गांधी ने राम मंदिर का पहला पत्थर रखा था| इसे दूसरी बार सिला नहीं जा सकता, जिस स्थान पर मूर्ति स्थापित की गई है, वहां से 3 किमी दूर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। जितेंद्र आव्हाड ने दावा किया कि मंदिर मूल स्थल पर नहीं बना है|

यह भी पढ़ें-

मुंबई से अमेरिका के न्यू जर्सी के लिए निकली राम मंदिर की प्रतिकृति    

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,359फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
180,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें