पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के मोथाबाड़ी में पिछले सप्ताह हुए सांप्रदायिक हमलों के बाद तनाव अभी भी बना हुआ है। राज्य पुलिस ने अब तक 57 लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया है और स्थिति को नियंत्रण में बताया है। हालांकि, विपक्ष ने इस दावे को खारिज करते हुए राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा,”यदि स्थिति नियंत्रण में होती, तो प्रभावित क्षेत्रों में बैरिकेड्स लगाकर विपक्षी नेताओं और मीडियाकर्मियों के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता।” शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस को पत्र लिखकर आग्रह किया कि जब तक स्थिति पूरी तरह से सामान्य नहीं हो जाती, तब तक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तैनाती की जाए।
पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार रविवार को मोथाबाड़ी पहुंचे और प्रभावित हिंदू परिवारों से मुलाकात की। इस दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात था, और कई स्थानों पर बैरिकेड्स लगाए गए थे ताकि विपक्षी नेता पीड़ितों से मुलाकात न कर पाए।
दरम्यान पुलिस अधिकारियों का कहना है की, “इलाके में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं ताकि तनाव फिर से न भड़के।” भाजपा ने इस मामले की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच कराने की मांग करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर ली है।
कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने मालदा के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक से मोथाबाड़ी हिंसा की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने तीन अप्रैल तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
शनिवार (29) को पश्चिम बंगाल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने रामनवमी के दौरान संभावित हिंसा को लेकर अलर्ट जारी किया। अतिरिक्त महानिदेशक (दक्षिण बंगाल) सुप्रतिम सरकार ने कहा, “कुछ निहित स्वार्थी तत्व सोशल मीडिया पोस्ट और अन्य माध्यमों से सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश कर सकते हैं।”
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