मुंबई। बाप तो बाप ही होता है। संकट में फंसी अपनी औलाद को उससे निजात दिलाने के लिए वह क्या नहीं करता। अगर उसकी जान खतरे में हो, तो उसे बचाने के लिए वह अपनी जान की बाजी तक लगा देता है। वक्त पड़ने पर खुद भूखा रह कर पहले उसकी उदरक्षुधा शांत करता है। …पर यहां माजरा अलग ही है। हाँ…सरकार बाप ही तो है जनता की। …और इस बाप को बाप कहलाना तो बहुत पसंद है, पर बतौर बाप खुद का कर्तव्यनिर्वाह करना बिलकुल नहीं आता, मुंह फेर लेता है वह अपने दायित्व से। कैसे ? देखिए। मानवीय संवेदनाओं के प्रति बेहद धीर-गंभीर भाजपा नेता एवं विधायक अतुल भातखलकर ने इस अहम मसले पर काफी करीने से गौर की है।
संकट में फंसे गरीबों को मुफ्त अनाज देने से इंकार
विश्वव्यापी महामारी कोरोना के भीषण कहर से अनगिनत परिवार भारी आर्थिक संकट में हैं, हालात यहां तक हैं कि कइयों को दो जून की रोटी तक नसीब नहीं है…ऐसे में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की तरह राज्य सरकार भी खुद अनाज खरीद कर केसरी राशन कार्ड धारकों को साल भर के लिए गेहूं-चावल मुफ्त अथवा रियायती दाम में मुहैया कराए। लेकिन, महाराष्ट्र के खाद्यान्न एवं नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने इससे साफ इंकार कर दिया है। भाजपा प्रभारी व कांदिवली (पूर्व) के विधायक अतुल भातखलकर ने ठाकरे सरकार के इस अमानवीय रवैए पर लानत भेजते हुए कहा है कि उसे राज्य की गरीब-भोलीभाली जनता की वेदना-बदहाली से कोई सरोकार नहीं, वह तो केवल ‘ वसूली ‘ के काम में पूरी तरह मगन है। इससे फिर एक बार राज्य की महाविकास आघाडी सरकार की गरीबविरोधी मानसिकता उजागर हो गई है।
भुजबल को याद दिलाया फडणवीस का कार्यकाल
राज्य की राशन कार्ड व राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा योजना के क्रियान्वयन में चल रही अनियमितता के संदर्भ में बजट सत्र में पूछे तारांकित प्रश्नों के दौरान भातखलकर ने बैठक कराने की मांग की थी, जिसके मुताबिक मंगलवार को हुई बैठक में उन्होंने मंत्री छगन भुजबल को याद दिलाते हुए मांग की थी कि देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री-काल में राज्य सरकार द्वारा राज्य के 14 आपदा पीड़ित जिलों में 3 साल के लिए मुफ्त अनाज वितरित किया गया था, लिहाजा, अब कोरोना की पृष्ठभूमि को लेकर राज्य सरकार को चाहिए कि वह कम-से-कम साल भर के लिए ही सही, केसरी राशन कार्ड धारकों को मुफ्त अनाज दे। साथ ही, अतुल भातखलकर ने कोरोनाकाल में गाँव चले गए अथवा रियायती दाम की दुकान से अनाज न लेने के कारण राज्य की राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा योजना के वरीयताक्रम से वंचित कर दिए केसरी राशन कार्डधारकों को फिर से इस श्रेणी में शामिल कर उन्हें भी मुफ्त अनाज की सुविधा प्रदान किए जाने की मांग की थी। इसके अलावा, उन्होंने बैठक के दौरान राज्य भर में रियायती अनाज की दुकानों में मिलावटी अनाज का वितरण हो रहा होने के मुद्दे पर भी छगन भुजबल का ध्यान दिलाया। भुजबल ने इसे मान्य करते हुए दोनों मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया।
अंत्योदय योजना से वंचित विभक्त परिवार को दें 6 माह की मोहलत
अंत्योदय योजना में समाविष्ट परिवार के विभक्त होने के बाद उन्हें इस योजना का लाभ न मिल रहा होने के कारण भातखलकर ने कहा कि राज्य सरकार को इसमें नीतिगत बदलाव कर अंत्योदय योजना के तहत विभक्त राशन कार्डधारक को न्यूनतम 6 महीने तक इस योजना का लाभ दिया जाना चाहिए, ताकि उसे खुद को आर्थिक नजरिए से गरीब साबित की मोहलत मिल सके।
मिलावटी अनाज के वितरण पर लगे रोक, अन्यथा उग्र जनांदोलन
उन्होंने इस दौरान मिलावटी अनाज वितरित करने वाले रियायती अनाज के दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने, राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा योजना के वरीयताक्रम से वंचित कर दिए गए केसरी राशन कार्ड धारकों को 7 दिन के भीतर पुनः इसमें समाविष्ट करने का आदेश न दिए जाने पर प्रखर जनांदोलन करने की चेतावनी दी है।