भारतीय मूल के मुस्लिम नेता ज़ोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी के डेमोक्रेटिक मेयर प्राइमरी चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज की, लेकिन इसके बाद से वे कट्टरपंथी इस्लामोफोबिक हमलों का निशाना बन गए हैं। ट्रंप समर्थक कैंप और दक्षिणपंथी नेताओं ने उनके खिलाफ नस्लभेदी और सांप्रदायिक घृणा फैलानी शुरू कर दी है।
‘ममदानी की जीत के कुछ ही घंटों बाद सोशल मीडिया पर एक एडिटेड तस्वीर तेजी से वायरल हुई, जिसमें स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को बुर्का में दिखाया गया था। इस तस्वीर को साझा करने वालों में ट्रंप की सहयोगी और कुख्यात रिपब्लिकन नेता मार्जोरी टेलर ग्रीन और MAGA समर्थक डॉन कीथ जैसे कई नेता शामिल थे।
एक पोस्ट में तंज कसा गया “बधाई हो न्यूयॉर्क।” वहीं ममदानी की पारंपरिक भारतीय पोशाक—कुर्ता-पायजामा पहने तस्वीरें भी शेयर की जा रही हैं, जिन पर लिखा है “Never Forget”, जो स्पष्ट रूप से 9/11 हमलों की ओर संकेत करता है।
ममदानी को हामास समर्थक, आतंकवादी और जिहादी कहा जा रहा है। नस्लवादी उन्हें अमेरिका से निष्कासित करने की भी मांग कर रहें है। कुछ पोस्ट में यह तक कहा गया है कि ममदानी के जीतने से “दूसरा 9/11” हो सकता है। न्यूयॉर्क की काउंसिलवुमन विक्की पलाडिनो ने एक रेडियो इंटरव्यू में ममदानी को जाने-माने जिहादी आतंकवादी और कम्युनिस्ट कहा। उन्होंने अमेरिकी नागरिक होने के बावजूद ममदानी की निर्वासन (deportation) की बात कही।
ट्रंप प्रशासन के बड़े नाम भी शामिल:
ट्रंप प्रशासन के पूर्व अधिकारी और कट्टर प्रवासी विरोधी नेता स्टीफन मिलर ने कहा, “न्यूयॉर्क सिटी आज एक चेतावनी है कि जब कोई देश प्रवासन पर नियंत्रण नहीं रखता, तो यही होता है।” पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने भी एक पोस्ट शेयर की, जिसमें लिखा था, “मैं इतना बूढ़ा हो चुका हूँ कि मुझे वह वक्त याद है जब न्यूयॉर्क वालों ने 9/11 झेला था, न कि उसके लिए वोट किया।” फिर लिखा,“न्यूयॉर्क सिटी अब गिर चुका है।”
After 9/11 we said "Never Forget."
I think we sadly have forgotten. pic.twitter.com/f3iCXKUIRa
— Nancy Mace (@NancyMace) June 25, 2025
ज़ोहरान ममदानी हमेशा से ही प्रगतिशील मुस्लिम पहचान के प्रतीक रहे हैं। वे न केवल धर्मनिरपेक्ष नीतियों के पक्षधर हैं, बल्कि उन्होंने LGBTQ समुदाय, महिला अधिकार, और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर खुलकर समर्थन जताया है। यही बातें उन्हें उन चरमपंथी इस्लामी गुटों की निगाह में ग़ैर-इस्लामी बनाती हैं, जो पश्चिम में बसे मुसलमानों से भी वही सोच और पाबंदियाँ चाहते हैं जो वे अपने गढ़ में लागू करते हैं। एक मुस्लिम कंजरवेटिव एक्टिविस्ट ने अनऑफिशियल टेलीग्राम चैनल पर लिखा, “ज़ोहरान इस्लाम का नाम लेकर इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं। वह सिर्फ नाम के मुसलमान हैं।” मुस्लिम कट्टरपंथीगुटों को ममदानी की प्रगतिशील राजनीति और उदार इस्लामिक पहचान रास नहीं आ रही।
ज़ोहरान ममदानी आज अमेरिका के मुस्लिम युवाओं के लिए एक नई उम्मीद हैं — वे दिखाते हैं कि मुस्लिम होकर भी लोकतंत्र, समानता और आधुनिक सोच के साथ खड़ा हुआ जा सकता है। लेकिन यही उम्मीद, कट्टर सोच वालों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाती है — चाहे वह अमेरिकी दक्षिणपंथी हो या इस्लामी चरमपंथी।
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