पंजाब में कई एग्जिट पोल ने आम आदमी पार्टी को सत्ता तक पहुँचते हुए दिखाया है। हालांकि, 10 मार्च को फाइनल हो जाएगा कि किसकी सरकार बनेगी और कौन सत्ता से दूर होगा। इस बीच सबसे बड़ी बात यह है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी का सत्ता तक पहुँचाना। क्योंकि, आप से भी कई ऐसी पुरानी राजनीतिक पार्टियां हैं जो इस मुकाम को नहीं छू पाई, लेकिन, अरविंद केजरीवाल ने वो कर दिखाया जो शरद पावर की एनसीपी नहीं कर पाई। वह ‘लड़ाका करतब’ समाजवादी पार्टी में नहीं दिखा जो आप में दिखा। समाजवादी पार्टी कभी उत्तर प्रदेश से बाहर निकल पाई।
ऐसा ही कुछ हाल, महाराष्ट्र की शिवसेना पार्टी का है। जो खुद को बीजेपी से पुरानी पार्टी होने का दावा करती है। लेकिन, महाराष्ट्र से बाहर नहीं निकल पाई। पार्टी यह भी कहती आई है कि वह हिन्दू समाज की सबसे बड़ी हितैषी है। पिछले दिनों, शिवसेना के सांसद संजय ने दावा किया था कि अगर शिवसेना बाबरी मस्जिद टूटने के बाद उत्तर प्रदेश में अपने उम्मीदवार खड़ा की होती तो वह सत्ता में होती।
हालांकि, संजय राउत के दावे में दम नहीं दिखता है। क्योंकि, शिवसेना उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करती रही है, लेकिन, इन उम्मीदवारों के जमानत जब्त होते रहे। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी शिवसेना ने अपने उम्मीदवार खड़ा किये। संजय राउत और आदित्य ठाकरे ने इस दौरान चुनाव प्रचार भी किया था, लेकिन, क्या इन सीटों पर शिवसेना के उम्मीदवार जीतेंगे या इस बार भी जमानत जब्त होगी। यह सवाल सभी के जेहन में तैर रहे हैं।
आपको बताते चलें कि, आम आदमी पार्टी का गठन 26 नवंबर 2012 में किया गया था। इसके संस्थापकों में अरविन्द केजरीवाल, कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव, आनंद कुमार, प्रशांत भूषण और शाजिया इल्मी शामिल थे। हालांकि , इसमें से कई ने पार्टी छोड़ कर अपनी पार्टी बना ली या दूसरे दल में चले गए। सभी अन्ना हजारे के आंदोलन से निकले थे।
इस बीच, आप के नेता और कवि कुमार विश्वास ने केजरीवाल पर बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि केजरीवाल अलगाववादियों और खलिस्तान समर्थकों की मदद से पंजाब में सरकार बनाना चाहते हैं। इस बयान के बाद आप आदमी पार्टी के दिल्ली के सीएम केजरीवाल को भी सामने आकर सफाई देनी पड़ी थी। आम आदमी पार्टी ने 11 सालों में कई राज्यों में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव लड़े। जिसमें 2014 का लोकसभा चुनाव भी शामिल है। इस चुनाव में केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ बनारस में उतरे थे।