सिंदखेड़ाराजा के राजा लखुजीराव जाधव की ऐतिहासिक समाधि के जीर्णोद्धार कार्य के दौरान 13वीं शताब्दी के यादव काल के पूर्व शिव मंदिर की खोज की गई है। महाराष्ट्र पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने इस मंदिर का निरीक्षण किया| 16वीं सदी के राजा लखुजीराव जाधव और उनके तीन बेटों और पोते-पोतियों की कब्रें भी यहीं स्थित हैं। यह शिव मंदिर संरक्षण एवं संरक्षण के कार्य के दौरान मिला है।
खुदाई में मिले मंदिर में महादेव का पिंड: खुदाई में मिले इस प्राचीन शिव मंदिर में महादेव का एक विशाल पिंड है और यह मंदिर बड़े-बड़े पत्थरों से बनाया गया है। यह मंदिर हेमाडपंथी निर्मित है। देखने से पता चलता है कि मंदिर के नीचे एक पत्थर का फर्श भी लगाया गया है। अधिकारियों ने यह भी कहा है कि इस स्थान पर अभी और खुदाई की जाएगी और खुदाई पूरी होने के बाद ही इस मंदिर के रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा। खुदाई के दौरान मिले मंदिर के अवशेषों में शंकर के मंदिर का गभार और सभा कक्ष भी मिला है।
पुरातत्व विभाग के अधिकारी मलिक ने क्या कहा?: हमने पिछले साल लखुजीराव जाधव की समाधि का जीर्णोद्धार शुरू किया था। इस जगह पर काफी गंदगी और पत्थर का मलबा था|इसे हटाते समय हमें इस मंदिर के कुछ अवशेष मिले। फिर मंगलवार को यह मंदिर मिला। इस मंदिर के दरवाजे और दरवाजे के अंदर के शिलालेख पर यादव काल का उल्लेख उत्कीर्ण है। अत: यह यादवकालीन मन्दिर होगा। इस मंदिर का निर्माण बड़े-बड़े पत्थरों से किया गया है।
मंदिर का गभारा, मंदिर का बैठक कक्ष प्राप्त हुआ है। मंदिर के पीछे लखुजीराव जाधव की समाधि है। मंदिर के सभा कक्ष के ऊपर कुछ कब्रें मिली हैं। इसका मतलब यह है कि यह मंदिर यहां इस समाधि के निर्माण से भी पहले का है।
समाधि स्थल पर पहले से ही एक रामेश्वर मंदिर मौजूद है। संभव है कि यह मंदिर और रामेश्वर मंदिर एक ही काल के हों। लेकिन इस बारे में जानकारी मिल रही है| अन्य जो साक्ष्य मिले हैं उनके आधार पर इस मंदिर का काल निश्चित रूप से कहा जा सकता है, लेकिन हमारा अनुमान है कि यह तेरहवीं शताब्दी का मंदिर होना चाहिए। यह जानकारी पुरातत्व विभाग के अधिकारी अरुण मलिक ने दी है|
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