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Sunday, November 24, 2024
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आज से शुरू होगी शारदीय नवरात्रि, ऐसे करें पूजा-पाठ

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शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। गुरुवार को माता शैलपुत्री की आराधना कर नवरात्रि की शुरुआत होगी। इस दिन कलश स्थापना का बहुत बड़ा महत्त्व है। आइये जानते है  इसके शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में। इस साल कुछ कार्यों के लिए ये नवरात्रि बेहद शुभ माने जा रहा है। नवरात्रि में  दो सौभाग्य योग, एक वैधृति योग और 5 रवियोग बन रहे हैं, जिसके चलते इन दिनों नए कार्यों की शुरुआत करने, नया घर या वाहन खरीदना शुभ रहेगा। घर का सामान खऱीदने के लिए भी ये वक्त सही है। इस बार नवरात्रि आठ दिन का होगा।

दुर्गा चालीसा का पाठ करें: एक ही दिन में दो तिथियां पड़ने से शारदीय नवरात्रि 8 दिन तक चलेंगे।  9 अक्टूबर दिन शनिवार को तृतीया सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगी, इसके बाद चतुर्थी शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन 10 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह 5 बजे तक रहेगी। नवरात्रि 14 अक्टूबर को संपन्न होंगे। 15 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) का त्योहार मनाया जाएगा। नवरात्र  स्थापना का बहुत बड़ा महत्त्व है। शारदीय नवरात्रि  में  शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 से 7 बजकर 07 बजे तक है। ऐसे करें पूजा  इस दिन सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें। मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
माता शैलपुत्री: पहले दिन माता शैल पुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित दिखता है। माता के इसी रूप को प्रथम दुर्गा भी कहते हैं। सती के नाम से भी इन्हें ही जाना जाता है। माता शैलपुत्री रूप का महत्व और शक्ति अनंत है। पार्वती और हेमवती भी इसी देवी रूप के अन्य नामों में से एक हैं। माता शैलपुत्री की आराधना के वक़्त जातक को इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। : वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ । वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥
पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली,श्रृंगार का सामान,दीपक,घी/ तेल,धूप,नारियल, साफ चावल, कुमकुम, फूल,देवी की प्रतिमा या फोटो, पान,सुपारी,लौंग,इलायची,बताशे या मिसरी आदि शामिल है। मालूम हो कि आश्विन की नवरात्रि शारदीय नवरात्र कहलाता है। आश्विन की नवरात्र में देवी पूजन की परम्परा है। इस दौरान देवी के नौ रूपों का पूजन किया जाता है।

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