चैत्र नवरात्रि 2025: शक्ति साधना और आत्मशुद्धि का पावन अवसर, जाने चैत्र नवरात्री का महत्व।

नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका महत्व है। ऋतु परिवर्तन के इस समय उपवास रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और सात्त्विक आहार ग्रहण करने से शरीर व मन दोनों शुद्ध होते हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025: शक्ति साधना और आत्मशुद्धि का पावन अवसर, जाने चैत्र नवरात्री का महत्व।

Chaitra Navratri 2025: A holy occasion for Shakti Sadhana and self-purification, know the importance of Chaitra Navratri.

चैत्र नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह देवी दुर्गा की आराधना के साथ आत्मशुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करने का अवसर होता है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन में नई ऊर्जा, संकल्प और शुद्धता लाने का माध्यम भी है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होने वाले ये नौ दिन शक्ति की उपासना के लिए विशेष माने जाते हैं। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी, जिससे यह पर्व नवजीवन और सृजन का प्रतीक बन जाता है।

इस पर्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक संदेश यह है कि शक्ति (दुर्गा) के बिना सृष्टि का संचालन संभव नहीं। शक्ति केवल भौतिक बल नहीं, बल्कि आंतरिक ऊर्जा, आत्मविश्वास और साहस का भी प्रतीक है। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जो हमें अलग-अलग गुणों से संपन्न होने की प्रेरणा देते हैं—जैसे माँ शैलपुत्री से संयम और संतुलन, माँ ब्रह्मचारिणी से तपस्या और आत्मनियंत्रण, माँ चंद्रघंटा से साहस और आत्मरक्षा, और माँ सिद्धिदात्री से आत्मज्ञान का संदेश मिलता है।

नवरात्रि में केवल देवी की पूजा ही नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक शुद्धि पर भी जोर दिया जाता है। इस दौरान कुछ प्रमुख अनुष्ठानों का पालन करने से भक्तों को अधिक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। ​बता दें की चैत्र नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 30 मार्च से होगा और इसका समापन 6 अप्रैल को होगा। इस बार नवरात्रि केवल 8 दिनों की होगी, क्योंकि पंचमी तिथि के क्षय होने के कारण अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही हैं।

1. घटस्थापना (कलश स्थापना)

नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है, जिसे शक्ति का आह्वान माना जाता है। एक मिट्टी के पात्र में जौ बोए जाते हैं, जो उर्वरता और सकारात्मक ऊर्जा के प्रतीक हैं। कलश में जल भरकर उसके ऊपर नारियल रखा जाता है, जिसे देवी की दिव्य उपस्थिति माना जाता है। यह प्रक्रिया शुभ मुहूर्त में ही की जाती है, क्योंकि सही समय पर की गई घटस्थापना से अधिक सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

2. दुर्गा सप्तशती का पाठ और मां के मंत्रों का जाप

इन नौ दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यंत शुभ माना जाता है। यह ग्रंथ देवी के नौ स्वरूपों की महिमा का वर्णन करता है और जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए शक्ति प्रदान करता है। इसके अलावा, “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और नकारात्मकता दूर होती है।

3. उपवास और सात्त्विक आहार

नवरात्रि में उपवास रखने की परंपरा आत्मशुद्धि से जुड़ी हुई है। यह उपवास न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन में भी सहायक होता है। इस दौरान सात्त्विक आहार जैसे फल, दूध, मखाना, साबूदाना और सिंघाड़े का सेवन किया जाता है। प्याज, लहसुन और तामसिक भोजन से बचा जाता है ताकि मन और आत्मा की शुद्धि बनी रहे।

4. अखंड ज्योति

नवरात्रि के दौरान कई भक्त अपने घरों या मंदिरों में अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं, जो यह दर्शाता है कि जीवन में सकारात्मकता और आध्यात्मिक प्रकाश हमेशा बना रहना चाहिए। यह ज्योति माँ दुर्गा का प्रतीक मानी जाती है और इसे नौ दिनों तक जलाकर रखना शुभ होता है।

5. कन्या पूजन

अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार दिए जाते हैं। यह परंपरा नारी शक्ति के सम्मान और उसके दिव्य स्वरूप की पूजा का प्रतीक है।

नवरात्रि के अंतिम दिन राम नवमी मनाई जाती है, जो भगवान श्रीराम के जन्म का पर्व है। इस दिन रामचरितमानस का पाठ करना, राम नाम का स्मरण करना और भजन-कीर्तन करना विशेष फलदायी माना जाता है।

नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका महत्व है। ऋतु परिवर्तन के इस समय उपवास रखने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और सात्त्विक आहार ग्रहण करने से शरीर व मन दोनों शुद्ध होते हैं। इसके अलावा, मंत्रोच्चार और भजन से मानसिक तनाव कम होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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चैत्र नवरात्रि शक्ति उपासना का पर्व होने के साथ-साथ आत्मसंयम, साधना और सकारात्मकता को अपनाने का समय भी है। इन नौ दिनों में की गई भक्ति और अनुष्ठान जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शक्ति प्रदान करते हैं। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जब हम अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानते हैं और आध्यात्मिक साधना में मन लगाते हैं, तो जीवन की हर कठिनाई पर विजय प्राप्त करना संभव है। इस नवरात्रि, माँ दुर्गा की कृपा से अपने जीवन में शक्ति, भक्ति और समृद्धि का संचार करें।

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