चाणक्य नीति: खुद को सुधारें, दूसरों में दोष ढूंढने में न जाया करें अपना समय

चाणक्य नीति: खुद को सुधारें, दूसरों में दोष ढूंढने में न जाया करें अपना समय

आचार्य चाणक्य की नीति हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। चाणक्य की कुछ नीतियां यहां बता रहे जो सबके लिए हितकर। आचार्य चाणक्य अपने नीतियों में कहा है मनुष्यों को दूसरों कमियां ढूढ़ने के बजाज खुद को सुधारना चाहिए। बता दें आचार्य चाणक्य महान शिक्षाविद, अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ थे। चाणक्य की लिखी बातें आज भी प्रासंगिक हैं।

आचार्य चाणक्य ने कहा है कि मनुष्यों को दूसरों के दोष ढूंढने में समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए। इससे खुद में सुधार की उम्मीदें खत्म हो जाती हैं। आचार्य चाणक्य एक महान विद्वान थे, जिनमें मनुष्यों के स्वभाव को पहचानने की जबरदस्त शक्ति थी। इसी सिलसिले में उन्होंने बताया कि मनुष्य अपने जीवन का ज्यादातर समय दूसरों की कमियां या दोष ढूंढने में खराब कर देते हैं। ऐसा करने की वजह से मनुष्य अपने अंदर कोई सुधार नहीं कर पाता है। चाणक्य नीति के अनुसार, जो लोग दूसरों के दोष ढूंढने का काम करते हैं, उन्हें अपने अंदर कोई कमी नहीं दिखाई देती है। यही वजह है कि उनके अंदर जो सुधार होने चाहिए, वह नहीं हो पाते हैं।
यदि असल जिंदगी की भी बात की जाए तो हम ऐसे कई लोगों के बारे में जानते होंगे जो अपनी कमियों में सुधार करने के बजाए दूसरों की कमियां निकालते रहते हैं। इस बात में भी कोई दो राय नहीं है हम में से कई लोग ऐसे होते हैं। लेकिन यहां सबसे बड़ी समस्या की बात यही है कि ऐसे लोगों को अपने अंदर किसी तरह की कोई कमी नजर ही नहीं आती है। आचार्य चाणक्य की मानें तो दूसरों में दोष ढूंढने वाले लोग खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं।

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