ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट के मामले में 22 वर्षीय कानून छात्रा शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी ने राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहस छेड़ दी है। एक तरफ कोलकाता पुलिस ने उन्हें सांप्रदायिक भावना भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया, तो वहीं दूसरी ओर डच संसद सदस्य गीरट विल्डर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है।
डच सांसद ने एक्स पर शर्मिष्ठा के समर्थन में लिखा, “बहादुर शर्मिष्ठा पनोली को रिहा करो! यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अपमान की बात है कि उसे गिरफ्तार किया गया। पाकिस्तान और मुहम्मद के बारे में सच बोलने के लिए उसे सज़ा मत दो। उसकी मदद करो @narendramodi” साथ ही उन्होंने “All eyes on Sharmistha” लिखी तस्वीर साझा की, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।
शर्मिष्ठा पनोली, जिनके सोशल मीडिया पर लगभग 1.75 लाख फॉलोअर्स हैं, ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कुछ बॉलीवुड सितारों की चुप्पी पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इस वीडियो में कथित तौर पर एक विशेष समुदाय और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं। हालांकि बाद में उन्होंने वीडियो डिलीट कर माफी मांगी, फिर भी कोलकाता में उनके खिलाफ FIR दर्ज की गई।FIR में धारा 153A, 295A और 504 जैसी धाराएं लगाई गई हैं, जो सांप्रदायिक द्वेष फैलाने और धार्मिक भावनाएं आहत करने से जुड़ी हैं।
उन्हें गुरुग्राम से गिरफ्तार कर कोलकाता लाया गया और अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पेशी के दौरान मीडिया से बात करते हुए शर्मिष्ठा ने कहा, “जिस तरह लोकतंत्र में मुझे परेशान किया जा रहा है, यह लोकतंत्र नहीं है।”
बीजेपी इस मामले को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर हमलावर हो गई है। बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा,”बंगाल में कार्रवाई सिर्फ सनातनियों पर होती है। ये सीधा तुष्टीकरण का मामला है।”
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर लिखा,”यह सिर्फ बंगाल का मामला नहीं है — यह एक युवा हिंदू महिला को एक विशेष वोटबैंक के लिए निशाना बनाने की कहानी है।”
गौरतलब है कि डच सांसद गीरट विल्डर्स इससे पहले 2022 में बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में भी सामने आए थे। उन्होंने तब लिखा था कि “नूपुर को सच बोलने के लिए धमकाया जा रहा है, पूरी दुनिया के स्वतंत्रता-प्रेमियों को उसका समर्थन करना चाहिए।”
शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी को लेकर देश में भाषण की आज़ादी बनाम धार्मिक भावना के बीच संतुलन को लेकर फिर एक बार बहस छिड़ गई है। जहां एक ओर सरकार कानून-व्यवस्था का हवाला दे रही है, वहीं दूसरी ओर आलोचक इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला मान रहे हैं। अब देखना यह है कि क्या केंद्र सरकार इस अंतरराष्ट्रीय अपील पर कोई प्रतिक्रिया देती है या नहीं।
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