आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। आषाढ़ पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी लोग कहते हैं। हमारे शास्त्रों में गुरु का स्थान सबसे ऊंचा है इसलिये कबीर दास ने कहा है।
”गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
अर्थ – गुरू और गोबिंद (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए – गुरू को अथवा गोबिन्द को? ऐसी स्थिति में गुरू के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है जिनके कृपा रूपी प्रसाद से गोविन्द का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज गुरु को नमन करें,लेकिन भूलकर किसी का अपमान न करें। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का ध्यान कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
इस दिन जल में हल्दी मिलाकर घर के मुख्य द्वार की सफाई करें। इस दिन किसी के लिए अपशब्द न कहें। किसी स्त्री या बुजुर्ग का अपमान भूलकर भी न करें। घी का दीप जलाकर भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ों में मीठा जल डालना चाहिए, ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। गुरु पूर्णिमा की शाम को पति-पत्नी मिलकर यदि चंद्रमा का दर्शन करें और चंद्रमा को गाय के दूध का अर्घ्य दें तो दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
आषाढ़ पूर्णिमा की शाम तुलसी जी के सामने शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधि विधान से पूजा करें। आटे की पंजीरी का प्रसाद बनाकर भगवान श्री हरि विष्णु को भोग लगाएं। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का ध्यान कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस दिन जरूरतमंदों को पीले अनाज, पीले वस्त्र और पीली मिठाई का दान दें। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु जी स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है।
आषाढ़ पूर्णिमा की शाम तुलसी जी के सामने शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधि विधान से पूजा करें। आटे की पंजीरी का प्रसाद बनाकर भगवान श्री हरि विष्णु को भोग लगाएं। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का ध्यान कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। इस दिन जरूरतमंदों को पीले अनाज, पीले वस्त्र और पीली मिठाई का दान दें। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु जी स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है।