28 C
Mumbai
Saturday, September 21, 2024
होमधर्म संस्कृतिसच होगी जोशीमठ पर भविष्यवाणी?, पढ़ें 'ज्योतिर्मठ' से जुड़ीं 5वो कहानियां 

सच होगी जोशीमठ पर भविष्यवाणी?, पढ़ें ‘ज्योतिर्मठ’ से जुड़ीं 5वो कहानियां 

आध्यात्मिक शहर जोशीमठ का पुराना नाम है 'ज्योतिर्मठ' 

Google News Follow

Related

उत्तराखंड के जोशीमठ की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इस ओर राज्य सरकार और केंद्र सरकार ध्यान शुरू कर दिया पीएम मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी से बात कर पैदा आपदा की जानकारी ली। बहरहाल,जोशीमठ से जुडी कहानी के बारे में जानते हैं। कहा जाता है कि जोशीमठ का पुराना नाम ‘ज्योतिर्मठ’ भी है। इस आध्यात्मिक शहर का बहुत है। जोशीमठ धौलीगंगा और अलकनंदा के संगम पर बसी मठ को बद्रीनाथ का द्वार भी कहा जाता है। तो आइये जानते है कि जोशीमठ के बारे में लोगों क्या क्या कहानियां प्रचलित हैं।

नरसिंह के अवतार में प्रहलाद की रक्षा: कहा जाता है कि जब हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने का उद्योग कर रहा था ,उस समय भगवान विष्णु ने नरसिंह के अवतार में प्रहलाद की रक्षा की थी और हिरण्यकश्यप का वध किया था। उस समय भगवान विष्णु का क्रोध शांत नहीं हुआ था,इस माता लक्ष्मी ने प्रहलाद से कहा था कि वे भगवान विष्णु की जाप करें ताकि उनका क्रोध शांत हो सके। जिसके बाद प्रह्लाद ने ऐसा ही किया था। उसके बाद भगवान विष्णु शांत हुए थे और शांत स्वरूप में जोशीमठ में स्थापित हुए थे। कहा जाता है कि भगवान बद्रीविशाल सर्दियों में बद्रीनाथ धाम को छोड़कर यहीं  निवास करते हैं।

तो नर और नारायण पर्वत आपस में जुड़ जाएंगे: दावा किया जाता है कि यहां स्थित जोशीमठ के नरसिंह स्थित मंदिर में भगवान नरसिंह की दाहिनी भुजा पतली होती जा रही हैं। इसके बारे में केदारखंड सनत संहिता में भविष्यवाणी की गई है कि जिस दिन यह भुजा कटकर गिर जायेगी उस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में जुड़ जाएंगे। इतना ही नहीं केदारखंड सनत संहिता के मुताबिक बद्रीनाथ धाम जाने का रास्ता भी बंद हो जाएगा। इसके बाद बद्री विशाल एक दूसरे जगह भविष्य बद्री में पूजे जाएंगे। यह जगह  जोशीमठ से 19 किलोमीटर तपोवन में स्थित है।

2400 साल की आयु वाला पेड़: वहीं एक कहानी आदि शंकराचार्य से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने यहीं तप किया था। 815 ईस्वी में आदि शंकराचार्य ने यहीं एक शहतूत के पेड़ के निचे तप किया था जहां उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। 36 मीटर गोलाई वाला शहतूत का पेड़ आज भी यहां स्थित है। बताया जाता है कि 2400 साल की आयु वाले पेड़ के पास ही आदिशंकराचार्य की तपस्वी गुफा भी है। जिसे ज्योतिश्वेर महादेव कहा जाता है। मालूम हो कि आदि शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी। जिसमें से पहली मठ यहीं है। आदि शंकराचार्य को ज्ञान प्राप्त होने के बाद इस मठ को ‘ज्योतिर्मठ’ भी कहा जाता है। इसे आम बोलचाल में जोशीमठ कहा जाता है।

‘ज्योतिर्मठ’ स्वर्ग का द्वार: जोशीमठ या ‘ज्योतिर्मठ’ को स्वर्ग का द्वार भी कहा जाता है। इसके बारे में मान्यता है कि जब पांडवों ने राजपाठ छोड़कर स्वर्ग जाने का मन बनाया तो उन्होंने इस मार्ग को चुना था। बद्रीनाथ से पहले पंडुकेश्वर को पांडवों की जन्मस्थली बताया जाता है। बद्रीनाथ के बाद माणा गांव पार करने के बाद एक शिखर आता है। जिसे स्वर्गारोहिणी कहा जाता है। कहा जाता है कि यहीं से  भीम ,नकुल,सहदेव और अर्जुन ने युधिष्ठिर का साथ छोड़ना शुरू कर दिया था। इसके बाद युधिष्ठिर के साथ केवल एक कुत्ता स्वर्ग गया था। हालांकि जोशीमठ से आगे  फूलों की घाटी है  कहा जाए तो यहां स्वर्ग सी सुंदरता दिखाई देती है।

कत्यूरी राजवंश से संबंध: इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र पर शासन करने वाले कत्यूरी राजवंश से भी संबंध है। कहा जाता है कि सातवीं और 11 वीं शताब्दी में  कत्यूरी शासन में जोशीमठ का नाम कीर्तिपुर था। जो उसकी राजधानी थी।

ये भी पढ़ें 

जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लेकर पीएम कार्यालय में उच्च स्तरीय बैठक

अगले लोकसभा चुनाव से पहले देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा: अमित शाह

सपा के ट्विटर हैंडल पर अभद्र टिप्पणी, अखिलेश के मुंह से निकाला ‘जहर’  

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,378फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
178,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें