मकर संक्रांति पर्व: 29 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग 

मकर संक्रांति पर्व: 29 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग 

मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य देव की पूजा की जाती है। देश में अलग-अलग भागों में मकर संक्रांति कई नामों से यह पर्व मनाया जाता है। उत्तरी पट्टी इसे मकर संक्रांति या माघी कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे पेद्दा पंडागा, असम में माघ बिहू, पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति और तमिलनाडु में पोंगल (थाई पोंगल), गुजरात में उत्तरायण कहा जाता है। इस बार मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त शुक्रवार, जनवरी 14 को 14:43 से 17:45 बजे तक है।

मकर संक्रांति पर हर राज्यों में मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं। बच्चे पतंगबाजी प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, त्योहार पर अलावा स्वादिष्ट भोजन इस अवसर पर बनाये जाते हैं।  मकर संक्रांति के अवसर पर महाराष्ट्र में पूरन पोली मीठा फ्लैटब्रेड व्यंजन बनाया जाता है। अधिकांश लोग संक्रांति के अवसर पर कुछ मनोरम पूरन पोलियों की सरसराहट करना पसंद करते हैं। आमतौर पर मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाती है.लेकिन कभी-कभी सूर्य (सूर्य) की स्थिति में संक्रमण के कारण यह एक दिन बाद पड़ जाती है, जिससे कई बार भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है।

बताया जा रहा है कि 29 वर्षों के बाद इस बार मकर संक्रांति  के अवसर पर शनि और सूर्य  ग्रह मकर राशि (राशि) में प्रवेश करेंगे और एक महीने तक वहीं रहेंगे। इस बार यह दुर्लभ संयोग 29 साल बाद बन रहा है।

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