29 C
Mumbai
Saturday, December 6, 2025
होमधर्म संस्कृतिदेश को फिर से अपने स्वरूप में खड़ा करने का समय आ...

देश को फिर से अपने स्वरूप में खड़ा करने का समय आ गया है: सरसंघचालक मोहन भागवत

संगठित, शील-संपन्न हिंदू समाज ही भारत की एकता, अखंडता, विकास और सुरक्षा की गारंटी है।

Google News Follow

Related

विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के परम पूजनीय सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने राष्ट्र पुनर्निर्माण और समाजिक परिवर्तन पर जोर देते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब भारत को फिर से अपने आत्मस्वरूप में खड़ा करना होगा। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक चले विदेशी आक्रमणों के कारण हमारी देशी प्रणालियां नष्ट हो गई थीं और आज आवश्यकता है कि उन्हें समयानुसार समाज और शिक्षा प्रणाली में दोबारा स्थापित किया जाए।

डॉ. भागवत ने स्पष्ट किया, “हमें ऐसे व्यक्तियों को तैयार करना होगा जो इस कार्य को कर सकें। इसके लिए केवल मानसिक सहमति ही नहीं, बल्कि मन, वाणी और कर्म में बदलाव जरूरी है। यह परिवर्तन बिना किसी व्यवस्था के संभव नहीं है और संघ की शाखा ही वह मजबूत व्यवस्था है, जो यह कार्य कर रही है।” उन्होंने बताया कि शाखा केवल शारीरिक अभ्यास का स्थान नहीं, बल्कि व्यक्तित्व निर्माण और समाज में सकारात्मक आदतों की प्रयोगशाला है।

उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक सौ वर्षों से इस परंपरा को निरंतर चला रहे हैं और आगे भी चलाते रहेंगे। स्वयंसेवकों से आह्वान करते हुए उन्होंने नित्य शाखा कार्यक्रमों को श्रद्धा से करने और अपने आचरण में परिवर्तन लाने की साधना अपनाने की बात कही।

डॉ. भागवत ने समाजिक उन्नति को केवल व्यवस्थाओं पर निर्भर नहीं बताया। उनके अनुसार, “परिवर्तन की असली शक्ति समाज की इच्छाशक्ति में होती है।” उन्होंने कहा कि संघ व्यक्तिगत सद्गुणों, सामूहिकता और सेवा भावना को समाज में फैलाने के लिए कार्यरत है।

अपने संबोधन में उन्होंने जोर दिया कि संगठित, शील-संपन्न हिंदू समाज ही भारत की एकता, अखंडता, विकास और सुरक्षा की गारंटी है। हिंदू समाज देश का उत्तरदायी और सर्व-समावेशी समाज है और यही भारत की “वसुधैव कुटुंबकम” की परंपरा को भारत की ताकत है। इस उदार और समावेशी विचारधारा को दुनिया तक पहुंचाना हिंदू समाज का कर्तव्य है।

विजयादशमी पर सीमोल्लंघन की परंपरा का उल्लेख करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि आज की परिस्थितियों को देखते हुए हमें अपने पूर्वजों के बताए कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और एक सशक्त भारत के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।

संघ के शताब्दी वर्ष की योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य देशव्यापी व्यक्ति निर्माण और समाज में पंच-परिवर्तन कार्यक्रम लागू करना है। संघ संगठित कार्यशक्ति के माध्यम से भारत को वैभवशाली और धर्ममार्ग पर अग्रसर राष्ट्र बनाने के संकल्प के साथ कार्य कर रहा है।

यह भी पढ़ें:

यूक्रेन के साथ बातचीत फिलहाल रुकी है: क्रेमलिन!

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यूपीआई चार्ज लगाने से किया इनकार!

केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार ने दिया दिवाली का तोहफा, 3 प्रतिशत बढ़ा डीए!

National Stock Exchange

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Star Housing Finance Limited

हमें फॉलो करें

151,711फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
284,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें