आंवला नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को मनाई जाती है। यानि आंवला नवमी 12 नवंबर यानी शुक्रवार को है। हिन्दू धर्म में आंवला नवमी का बहुत ही महत्व है। इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है और इस दिन किये गए दान -पुण्य का फल अगले जन्म में मिलता है।
आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा करते हुए परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। इसके साथ ही इस दिन वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है। प्रसाद के रूप में भी आंवला खाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ होता है। द्वापर युग में भगवान विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा की ओर प्रस्थान किया था। इसी वजह से वृंदावन परिक्रमा की जाती है।
आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक पूजन का है।इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है। हल्दी-कुमकुम से पूजा अर्चना करने बाद जल और दूध चढ़ाया जाता है। उसके बाद वृक्ष की परिक्रमा किया जाता है।आंवले के वृक्ष के तने में आठ बार कच्चे सूत के मौली को लपेटना चाहिए।