हमारे वेद-पुराण ज्ञानों का खजाना हैं। भारत की विरासत ज्ञान से समृद्ध है। कई ऐसे महापुरुष हुए हैं जिनकी नीति और बातें आज भी हमारे लिए हर समय उपयोगी होती हैं। विदुर जी की नीतियां चाणक्य नीति की तरह आज भी प्रासंगिक हैं। महाभारत में विदुर की बुद्धिमत्ता के कायल सभी थे। विदुर ने हस्तिनापुर के हित में कई अहम फैसले लिए थे। आज हम महाराज विदुर की नीतियों के बारे में बता रहे हैं जो हमारे जीवन की कई समस्याओं को दूर करने सहायता करेगी।आइये जानते हैं महाराज विदुर की वह नीतियां जीवन के लिए उपयोगी हैं।
कभी कभी गुस्से या प्रसन्नता के कारण हमारा रक्त प्रवाह तीव्र हो जाता है और हम अपने मूल स्वभाव के विपरीत कोई कार्य करने के लिये तैयार हो जाते हैं और हमें बाद में दुःख भी होता है। इसलिये विशेष अवसरों पर आत्ममुग्ध होने की बजाय आत्मचिंतन करते हुए कार्य करना चाहिए। किसी धनुर्धर वीर के द्वारा छोड़ा हुआ बाण संभव है, किसी एक को भी मारे या न मारे। मगर बुद्धिमान द्वारा प्रयुक्त की हुई बुद्धि राजा के साथ-साथ सम्पूर्ण राष्ट्र का विनाश कर सकती है।केवल धर्म ही परम कल्याणकारी है, एकमात्र क्षमा ही शांति का सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
क्षमा को दोष नहीं मानना चाहिए, निश्चय ही क्षमा परम बल है। क्षमा निर्बल मनुष्यों का गुण है और बलवानों का क्षमा-भूषण है। जब ये चार बातें होती हैं तो व्यक्ति की नींद उड़ जाती है, 1- काम भावना जाग जाने पर 2- खुद से अधिक बलवान व्यक्ति से दुश्मनी हो जाने पर 3- यदि किसी से सब कुछ छीन लिया जाए 4- किसी को चोरी की आदत पड़ जाए। एक विद्या ही परम संतोष देने वाली है और एकमात्र अहिंसा ही सुख देने वाली है।
क्रोध, हर्ष, गर्व, लज्जा, उद्दंडता, तथा स्वयं को पूज्य समझना – ये भाव जिस व्यक्ति को पुरुषार्थ के मार्ग से नहीं भटकाते वही बुद्धिमान या पंडित कहलाता है। जिस व्यक्ति का निर्णय और बुद्धि धर्मं का अनुसरण करती है और जो भोग विलास और त्याग कर पुरुषार्थ को चुनता है, वही पंडित कहलाता है। जिस व्यक्ति की विद्या या ज्ञान उसके बुद्धि का अनुसरण करती है और बुद्धि उसके ज्ञान का तथा जो भद्र पुरुषों की मर्यादा का उल्लंघन नहीं करता वही पंडित की पदवी पा सकता है।