जानिये शालिग्राम के बारे में जिससे बनेगी राम और माता सीता की मूर्ति  

नेपाल से अयोध्या पहुंचेगी 127 क्विंटल वजनी शालिग्राम शिलाखंड     

जानिये शालिग्राम के बारे में जिससे बनेगी राम और माता सीता की मूर्ति   

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। माना जा रहा है कि 2024 में राम मंदिर को जनता के लिए खोल दिया जाएगा। भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा शालिग्राम पत्थर से निर्मित की जायेगी। इसके लिए पड़ोसी देश नेपाल से गंडकी नदी से दो शालिग्राम के पत्थर अयोध्या लाया जा रहा है। इन दोनों शिलाखंडों का कुल वजन 127 क्विंटल है। इन शिलाखंडों का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। तो आइये जानते है कि शालिग्राम शिला क्या होती।

शिलाखंड 2 फरवरी को अयोध्या में: नेपाल से चले ये शिलाखंड 2 फरवरी को अयोध्या में पहुंच जाएंगे। हालांकि, नेपाल से चले इन शिलाखंडों का लोगों द्वारा जगह जगह पूजा अर्चना की जा रही है। नेपालवासी चौक चौराहों पर इन शिलाखंडों को देखने के लिए उमड़ रहे हैं। कई जगहों पर मंत्रोच्चारण तो कई जगहों भजन कीर्तन भी किया जा रहा है। गौरतलब है कि इस शिलाखंडों के साथ बजरंग दल,विहिप के बड़े बड़े पदाधिकारी साथ चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि 31 जनवरी तक यह शिलाखंड गोरखपुर पहुंच जाएंगे।

क्या है मान्यता: शास्त्रों के मुताबिक़ शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। पौराणिक कथाओं में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का जिक्र किया गया है।जिसकी वजह से इन पत्थरों को बहुत ख़ास माना जाता है। भगवान विष्णु से संबंध होने की वजह से इस शालिग्राम का खास महत्व है। सबसे बड़ी बात यह है कि ये पत्थर केवल गंडक नहीं के किनारे ही मिलते हैं। हिमालय के रास्ते में इन चट्टानों से पानी टकराकर छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ देते हैं।  जिसे नेपाल के लोग खोज कर उनकी पूजा करते हैं।

33 प्रकार के शालिग्राम: बताया जाता है कि 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं। शालिग्राम पत्थर को भगवान विष्णु के 24 अवतारों से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है कि जिस घर में शालिग्राम के पत्थर होते हैं। उस घर में सुख  समृद्धि बनी रहती है। इतना ही नहीं माता लक्ष्मी की भी कृपा होती है। इस शिलाखंड को लेकर लोगों में खासा उत्साह है।

विशेषज्ञों का टीम: हालांकि, अभी इन पत्थरों को अभी तकनीकी स्तर पर भी परखा जाएगा। इसके लिये विशेषज्ञों का एक पैनल इन शिलाखंडों का परीक्षण करेगा। उसके बाद भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा बनाई जाएगी। बताया जा रहा है कि प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामथ, पद्मभूषण प्राप्त शिल्पकार राम वनजी सुथार को रामलला की मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। बता दें कि राम सुथार स्टैचू ऑफ़ यूनिटी का शिल्प भी तैयार किया था। हाल ही अयोध्या स्वर कोकिला लता मंगेशकर की श्रद्धांजलि स्वरूप स्थापित की गई वीणा को राम सुथार और उनके बेटे अनिल सुथार ने ही तैयार किया है। बताया जा रहा है कि भगवान राम की मूर्ति ऐसी बनाई और स्थापित की जायेगी कि भगवान राम के ललाट पर रामनवमी के दिन सूर्य का किरणें पड़ेंगी।

ये भी पढ़ें   

“… और मुझे एहसास हुआ कि मेरे पिता की मृत्यु हो गई”, राहुल गांधी का छलका दर्द

​महाराष्ट्र के चित्ररथ की दूसरी रैंक: ड्यूटी पर ‘शक्तिपीठ और नारी शक्ति’ की प्रस्तुति दी

 

Exit mobile version