देश में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) एक बार फिर से चिंता का विषय बन गई है। केंद्र सरकार ने राज्यसभा को सूचित किया कि वर्ष 2025 में अब तक 10 राज्यों में गोवंश इस संक्रामक बीमारी से संक्रमित पाए गए हैं। यह वायरस-जनित रोग मुख्य रूप से मच्छरों, टिक्स और अन्य काटने वाले कीड़ों के माध्यम से फैलता है, जिससे पशुओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन पर भी गंभीर असर पड़ता है।
मत्स्य, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने बताया कि 24 जुलाई तक आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, गुजरात, मध्य प्रदेश, असम, मिजोरम, महाराष्ट्र और कर्नाटक में लंपी वायरस के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। वर्तमान में केवल महाराष्ट्र में सक्रिय रूप से संक्रमण फैला हुआ है, जबकि गुजरात के आठ जिलों में करीब 300 मवेशी प्रभावित हैं।
लंपी वायरस के लक्षणों में पशु की त्वचा पर गांठें, तेज बुखार, लिम्फ नोड्स में सूजन, दूध उत्पादन में भारी गिरावट और चलने-फिरने में परेशानी शामिल है। विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर टीकाकरण और कीट नियंत्रण के माध्यम से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।
सरकार ने बताया कि वर्ष 2022 से अब तक देशभर में 28 करोड़ से अधिक पशुओं को एलएसडी रोधी टीके लगाए जा चुके हैं। इनमें सबसे अधिक टीकाकरण उत्तर प्रदेश (4.6 करोड़), महाराष्ट्र (4.13 करोड़) और मध्य प्रदेश (3 करोड़) में हुआ है। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को टीकाकरण और रोग नियंत्रण प्रयासों के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान की है।
पशु स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LH&DCP) के तहत केंद्र ने 2024-25 के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 196.61 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इन प्रयासों के बावजूद, पिछले दो वर्षों में देशभर में करीब दो लाख पशुओं की मृत्यु हो चुकी है और लाखों की संख्या में मवेशियों का दूध उत्पादन प्रभावित हुआ है।
महाराष्ट्र और गुजरात में हाल के मामलों ने दुग्ध उद्योग के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे टीकाकरण अभियान को तेज करें और कीट नियंत्रण के उपायों को सख्ती से लागू करें। सरकार का कहना है कि वह राज्यों के साथ मिलकर इस महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
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