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Wednesday, March 26, 2025
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औषधीय गुणों से भरपूर ‘जौ’,पोषण और उपचार दोनों में लाभकारी!

इसका स्वाद कड़वा, मीठा और तीखा होता है, जो शरीर में कफ और पित्त को संतुलित करता है।

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प्राचीन आयुर्वेद और वैदिक ग्रंथों में जौ के अनेक लाभों का उल्लेख किया गया है। यह न केवल एक पौष्टिक अनाज है, बल्कि घरेलू उपचारों में भी सहायक माना जाता है। जौ को आयुर्वेद में स्वास्थ्यवर्धक, पाचन सुधारक और मूत्र विकारों के लिए लाभकारी माना गया है। 20 फरवरी 2022 को ऑक्सफोर्ड अकैडमिक में प्रकाशित शोध के अनुसार, इसका स्वाद कड़वा, मीठा और तीखा होता है, जो शरीर में कफ और पित्त को संतुलित करता है।

यह त्वचा रोग, रक्तस्राव विकार, सांस संबंधी समस्याओं, खांसी और मधुमेह जैसी बीमारियों में भी लाभकारी है। शोध के अनुसार, जौ शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद करता है।

जौ के सेवन के लाभ:-

फाइबर से भरपूर और कम कैलोरी वाला आहार – वजन नियंत्रण और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक।
बीटा-ग्लूकन युक्त – रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम युक्त – हड्डियों के लिए फायदेमंद।

जौ से जुड़े घरेलू उपचार:-

मधुमेह: जौ का सत्तू बनाकर शहद और पानी के साथ लेने से ब्लड शुगर नियंत्रण में रहता है।

शरीर की जलन: गर्मी में जौ का सत्तू पीने से शरीर की अतिरिक्त गर्मी कम होती है।

मूत्र विकार: जौ को दूध के साथ लेने से मूत्र संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।

गले की खराश: जौ का आटा पानी में मिलाकर गरारे करने से गले को आराम मिलता है।

घाव भरने के लिए: जौ के आटे में अंजीर का रस मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भरता है।

पाचन सुधार: जौ और मूंग दाल का सूप लेने से आंतों की गर्मी कम होती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है।

मूत्राशय की पथरी: जौ का पानी पीने से पथरी के दर्द में आराम मिलता है।

गर्भपात रोकने के लिए: जौ के आटे में तिल और शक्कर मिलाकर सेवन करने से गर्भपात का खतरा कम होता है।

कान की सूजन: जौ के आटे में इसबगोल भूसी और सिरका मिलाकर लगाने से आराम मिलता है।

जौ अपने औषधीय गुणों के कारण सिर्फ आहार नहीं, बल्कि सेहत का एक बेहतरीन स्रोत है, जिसे हर किसी को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।

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