हिमालय और तिब्बत के ऊंचाई वाले इलाकों में पाई जाने वाली कीड़ा जड़ी एक दुर्लभ और बहुमूल्य औषधि है, जिसे पारंपरिक चिकित्सा में चमत्कारी माना जाता है। वैज्ञानिक रूप से Cordyceps Sinensis नाम से जानी जाने वाली यह जड़ी-बूटी एक खास प्रकार के फंगस के कारण बनती है, जो जमीन के अंदर कीड़ों पर पनपता है और धीरे-धीरे उन्हें एक औषधीय संरचना में बदल देता है।
कीड़ा जड़ी का उपयोग सदियों से चीन और तिब्बत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में किया जाता रहा है। इसे ऊर्जा बढ़ाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने और हृदय व श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए उपयोग किया जाता है। शोध बताते हैं कि यह रक्त संचार को बेहतर बनाने और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाने में भी सहायक होती है। एथलीट और फिटनेस प्रेमी इसे ताकत बढ़ाने के लिए खासतौर पर पसंद करते हैं।
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इस दुर्लभ जड़ी-बूटी की कीमत इसकी उपलब्धता के कारण बहुत अधिक होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, एक किलो कीड़ा जड़ी की कीमत करीब 23 लाख रुपये तक पहुंच सकती है। अधिक मांग और सीमित आपूर्ति के चलते यह सबसे महंगी जड़ी-बूटियों में गिनी जाती है।
हालांकि, इसके अत्यधिक सेवन से कुछ लोगों में एलर्जी, पाचन संबंधी समस्याएं और कुछ दवाओं के साथ हानिकारक प्रतिक्रिया हो सकती है। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को इसके सेवन से बचने की सलाह दी जाती है।
कीड़ा जड़ी भले ही सेहत के लिए फायदेमंद हो, लेकिन इसे विशेषज्ञों की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए। इसकी ऊंची कीमत और औषधीय गुण इसे हिमालय की सबसे अनमोल प्राकृतिक संपत्तियों में से एक बनाते हैं।