कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की घोषणा की थी|हालाँकि, एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि मराठवाड़ा के आठ में से छह जिलों के जिला परिषद स्कूलों में 29 प्रतिशत छात्र मराठी नहीं पढ़ सकते हैं। विभागीय प्रशासन द्वारा किये गये निरीक्षण में यह सब खुलासा हुआ है|दिलचस्प बात यह है कि लातूर और बीड का निष्कर्ष अभी तक सामने नहीं आया है।
विभागीय प्रशासन द्वारा पहली से तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों की बुनियादी साक्षरता एवं अंकगणित का निरीक्षण किया गया। जिसमें यह बात सामने आई है कि कई छात्र मराठी नहीं पढ़ पाते हैं। भाषा ज्ञान के लिए पहली से तीसरी कक्षा तक के 3 लाख 72 हजार 977 विद्यार्थियों की परीक्षा ली गई। इनमें से 1 लाख 14 हजार 701 छात्र मराठी और अन्य भाषाओं के छोटे, मध्यम और लंबे वाक्य नहीं पढ़ सके।
क्या कहते हैं आंकड़े?: 1 लाख 16 हजार 741 विद्यार्थियों में से 77 हजार 370 पहली कक्षा के विद्यार्थी 4 से 5 शब्दों के छोटे वाक्य पढ़ते हैं। 39 हजार 371 विद्यार्थी छोटे वाक्य भी नहीं पढ़ पाते। यह अनुपात 33.73 फीसदी है| दूसरी कक्षा के 1 लाख 23 हजार 861 विद्यार्थियों में से 85 हजार 970 विद्यार्थी 40 से 50 शब्दों का वाक्य पढ़ सकते हैं। इसलिए 37 हजार 839 छात्र वाक्य नहीं पढ़ सकते। यह अनुपात 30.59 फीसदी है|
तीसरी कक्षा के 1 लाख 32 हजार 385 विद्यार्थियों में से 94 हजार 936 विद्यार्थी 60 शब्दों का एक वाक्य पढ़ सकते हैं। इसलिए 37 हजार 439 छात्र वाक्य नहीं पढ़ सकते। यह अनुपात 28.28 फीसदी है|
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