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Sunday, November 24, 2024
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मुस्लिम जनसंख्या पर कंट्रोल करें, जानें असम के मुख्यमंत्री ने और क्या कहा…

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गुवाहाटी । असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रवासी मुसलमानों को जनसंख्या नियंत्रण की नसीहत दी है। सरमा ने इसे सामाजिक खतरों से जोड़ते हुए कहा है कि प्रवासी मुस्लिम फैमिली प्लानिंग पर ध्यान दें तो जमीनी अतिक्रमण जैसी समस्याओं का समाधान हो सकता है। अगर जनसंख्या ऐसे ही बढ़ती रही तो एक दिन कामाख्या मंदिर की जमीन पर भी अतिक्रमण हो जाएगा। यहां तक कि मेरा घर भी अतिक्रमण से नहीं बच पाएगा। वे गुवाहाटी में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में अतिक्रमण विरोधी मुहिम से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम विधानसभा के पिछले सत्र में जनसंख्या नीति लागू कर चुके हैं, पर जनसंख्या का बोझ कम करने के लिए अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के साथ खास तौर से काम करना चाहते हैं। उनका कहना है कि जनसंख्या विस्फोट भी गरीबी और अतिक्रमण की तरह प्रमुख सामाजिक समस्या है।’

सरमा ने कहा है कि जंगलों, मंदिर और वैष्णव मठों की जमीन पर अतिक्रमण की छूट नहीं दी जा सकती है, लेकिन मैं समझता हूं कि जनसंख्या बढ़ने की वजह से ऐसा हो रहा है। मैं दूसरे पक्ष का दबाव भी समझता हूं। आखिर लोग कहां रहेंगे? AIUDF के महासचिव अनीमुल इस्लाम ने कहा है कि CM का बयान राजनीति से प्रेरित है और वे एक समुदाय को निशाना बना रहे हैं। जब राज्य सरकार ने जनसंख्या नीति बनाई तो हमने कभी इसका विरोध नहीं किया। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री प्रवासी मुस्लिमों की आबादी बढ़ने की असल वजह को नहीं समझ रहे हैं। इसकी वजह गरीबी और अशिक्षा है। असम के सेंट्रल और लोअर इलाकों में बंगाली बोलने वाले मुस्लिमों को बांग्लादेशी प्रवासी माना जाता है। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने यह मैसेज दिया था कि वह असम के मूल समुदायों को प्रवासी मुसलमानों से बचाने के कदम उठाएगी। असम की 3.12 करोड़ की आबादी में 31% प्रवासी मुस्लिम हैं।

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