मुंबई। विधान सभा मे विपक्ष के सवालों का जवाब देने से बचने के लिए रही ठाकरे सरकार लगातार कोरोना संकट का सहारा ले रही है। मंगलवार को विधानमंडल कामकाज समिति की बैठक में गया हुआ कि 5 जुलाई से शुरू होने वाला मानसून सत्र अधिवेशन केवल 2 दिनों का होगा। विपक्ष ने इस पर तीब्र नारागजी जताई है। विधान सभा मे विपक्ष के नेता देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि जैसे-जैसे अधिवेशन करीब आता है, वैसे-वैसे कोरोना के बढ़ने की खबर आती है। कोरोना के नाम पर अधिवेशन से बचने की कोशिश होती है। राज्य सरकार की प्रवृत्ति है कि हम इस संकट में मदद करते हुए अधिवेशन न करें। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल के कार्यालय के उद्घाटन में कितनी भी भीड़ क्यों न हो, वह सरकार को दिखाई नही देता। पर कोरोना के नाम पर अधिवेशन को दो दिनों में निपटा दिया जाता है। फडणवीस ने कहा कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ हमने कामकाज सलाहकार समिति की बैठक का बहिष्कार किया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कोंकण में धान उत्पादकों, केला उत्पादकों, किसानों को भारी समस्या है। लेकिन सरकार इस पर सदन में बात नहीं करना चाहती। बिजली के मुद्दे बहुत गंभीर मुद्दे हैं, लेकिन, सरकार चर्चा नहीं करना चाहती। छात्रों के सवाल गंभीर है, लेकिन यजी सरकार इस पर चर्चा नहीं करना चाहती सरकार। कानून व्यवस्था की स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन सरकार इस पर चर्चा नहीं करना चाहती है। उन्होंने कहा ओबीसी व मराठा आरक्षण के लिए विशेष अधिवेशन की मांग की जा रही है पर यह सरकार कोई अधिवेशन नहीं करेगी। हमने विधानसभा अध्यक्ष चुनाव की भी मांग की। वह चुनाव अभी हुआ नहीं है। सरकार की भूमिका संविधान द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने की नहीं है।
उन्होंने कहा कि अधिवेशन हो या न हो हम आम जनता के सवाल हम पूछते रहेंगे। इसके लिए हम सड़क पर उतरेंगे। फडणवीस ने कहा कि तीन पार्टियों की राजनीति के लिए जनता और लोकतंत्र की कुर्बानी देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मुझे पता नहीं मुख्यमंत्री नाराज़ हैं या उपमुख्यमंत्री नाराज़ हैं पर इस सरकार से प्रदेश की जनता काफी नाराज है। महाराष्ट्र में मंदिर बंद हैं, लेकिन शराब की दुकानें खुली हैं। महाराष्ट्र में 40 साल के लिए नए शराब लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था बंद कर दी गई थी। लेकिन अब दोबारा लाइसेंस जारी करने की बात हो रही है। प्रस्ताव महाराष्ट्र वित्त मंत्रालय के पास पहुंच गया है।